Chandauli: सावन के पवित्र महीने में जहां एक ओर काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालु उमड़ते हैं, वहीं चंदौली जिले के साहूपुरी स्थित महर्षि वेदव्यास मंदिर भी आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि काशी विश्वनाथ के दर्शन के बाद वेदव्यास मंदिर का दर्शन करना आवश्यक होता है। यहां हर सोमवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
महाभारत की रचना से जुड़ा है मंदिर
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद ऋषि वेदव्यास काशी पहुंचे थे। उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए, लेकिन उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। निराश और क्रोधित होकर वेदव्यास जी ने बाबा विश्वनाथ को श्राप दे दिया कि उनके दर्शन-पूजन का फल भक्तों को नहीं मिलेगा। वे साहूपुरी के सुंदरवन में तपस्या में लीन हो गए।
विश्वनाथ ने ऋषि को प्रसन्न करने के लिए देवी अन्नपूर्णा को उनके पास भेजा। देवी ने वेश बदलकर 56 प्रकार के भोग तैयार किए, लेकिन ऋषि ने देवी को पहचानकर प्रसाद लौटा दिया। अंत में भगवान गणेश की तपस्या से वेदव्यास जी का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने बाबा विश्वनाथ को श्राप से मुक्त कर दिया।
मंदिर की विशेषताएं
यह मंदिर कई मायनों में अद्वितीय है। यहां स्थापित व्यास शिवलिंग के सामने पारंपरिक नंदी की मूर्ति नहीं है, जो इसे अन्य शिव मंदिरों से अलग बनाती है। कहा जाता है कि यह शिवलिंग स्वयं महर्षि वेदव्यास द्वारा स्थापित किया गया था और यहीं उनका समाधि स्थल भी है।
श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में प्रवेश करते ही मन को विशेष आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है। सावन मास के दूसरे सोमवार को यहां विशेष रुद्राभिषेक और पूजा का आयोजन किया जाता है।
भक्तों की भीड़ और सेवा भाव
मंदिर के पुजारी सत्य प्रकाश तिवारी बताते हैं कि सावन के हर सोमवार को यहां देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। खासकर बिहार, झारखंड और गया से आने वाले भक्तों की संख्या अधिक होती है। मंदिर समिति की ओर से सभी श्रद्धालुओं के लिए भोजन और जल की उत्तम व्यवस्था की जाती है। कोई भी यात्री भूखा-प्यासा नहीं लौटता।
श्रद्धालु संतोष जायसवाल का कहना है, मैं हर साल सावन में यहां आता हूं। यहां आकर जो मानसिक शांति मिलती है, वो कहीं और नहीं मिलती। महिला श्रद्धालु लता जायसवाल ने बताया कि वेदव्यास मंदिर की पूजा करने से जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं।
वहीं श्रद्धालु विकास गुप्ता ने कहा, काशी विश्वनाथ के दर्शन के बाद जब हम यहां आते हैं, तो लगता है जैसे यात्रा पूर्ण हुई। यहां की व्यवस्था और आध्यात्मिक वातावरण बहुत विशेष है।
महर्षि वेदव्यास मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है जो काशी की गहराई और परंपरा से जुड़ा हुआ है। सावन के महीने में यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र बन जाता है, बल्कि हजारों श्रद्धालुओं की आत्मिक तृप्ति का माध्यम भी बनता है। काशी यात्रा को पूर्ण मानने के लिए वेदव्यास मंदिर के दर्शन को अनिवार्य माना गया है।

