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शारदीय नवरात्रि 2025: मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से दूर होते अशुभ प्रभाव, मिलता है तप और विवेक का आशीर्वाद

शारदीय नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां तप, संयम और साधना की प्रतीक मानी जाती हैं और वे भक्तों को विद्या व विवेक का आशीर्वाद देती हैं। उनकी आराधना से जीवन में धैर्य, निर्णय लेने की शक्ति और सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है।
Post Published By: Asmita Patel
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शारदीय नवरात्रि 2025: मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से दूर होते अशुभ प्रभाव, मिलता है तप और विवेक का आशीर्वाद

New Delhi: शारदीय नवरात्रि 2025 का आज दूसरा दिन है और इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का यह दिन साधकों और श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि मां ब्रह्मचारिणी तप, संयम और साधना की देवी मानी जाती हैं। उनके नाम का अर्थ ही है- ब्रह्म अर्थात तपस्या और चारिणी अर्थात आचरण करने वाली। यानी जो तपस्या के मार्ग का आचरण करती हैं, वे मां ब्रह्मचारिणी कहलाती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा और महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। उन्होंने वर्षों तक कठोर उपवास और संयम का पालन किया। इस कारण उन्हें तप और साधना की देवी माना गया। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से भक्त को धैर्य, त्याग और विवेक की शक्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा जीवन में आने वाले कठिन निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है।
मां ब्रह्मचारिणी

स्वरूप और प्रतीकात्मकता

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप साधना और तपस्या से जुड़ा हुआ है। उनका शरीर गोरा और तेजस्वी है। चेहरा शांत और सौम्य है, जिससे संयम और तप की आभा झलकती है। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं, जो ब्रह्मचर्य और पवित्रता का प्रतीक है। उनके दाहिने हाथ में जपमाला होती है, जो निरंतर भक्ति और साधना को दर्शाती है। बाएं हाथ में कमंडल रहता है, जो संयम और तपस्या का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी नंगे पांव चलती हुई दर्शाई जाती हैं, जिससे उनके कठोर तप का संकेत मिलता है। यह स्वरूप भक्तों को त्याग और आत्मसंयम का संदेश देता है।
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पूजा विधि और मुहूर्त

•ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04:36 से 05:23 बजे तक
•अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:50 से 12:38 बजे तक
•गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:17 से 06:41 बजे तक
•अमृत काल : सुबह 07:06 से 08:51 बजे तक
•द्विपुष्कर योग : दोपहर 01:40 बजे से अगले दिन 24 सितंबर 04:51 बजे तक

पूजा विधि

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में शुद्धता और संयम का विशेष महत्व होता है। सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं और रोली, चावल, पुष्प, धूप-अगरबत्ती से उनका पूजन करें। आज के दिन मां को सफेद वस्त्र और सफेद फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है। भोग में चीनी, खीर, पंचामृत और बर्फी अर्पित करें। मान्यता है कि इनसे मां प्रसन्न होती हैं और भक्त को विद्या और विवेक का आशीर्वाद देती हैं।
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विशेष मंत्र और आरती

भक्तों को मां ब्रह्मचारिणी की आराधना के समय मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए।
मंत्र
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
बीज मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः।

भोग और फूल

मां ब्रह्मचारिणी को आज चीनी, खीर, पंचामृत और बर्फी का भोग लगाना शुभ माना गया है। पूजा में सफेद फूलों का विशेष महत्व है। माना जाता है कि सफेद फूल और सफेद भोग से मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्त को अखंड सुख-संपदा का आशीर्वाद देती हैं।
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