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Sawan Somwar: सावन में शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पण में बरतें सावधानी, वरना व्यर्थ हो सकती है आपकी पूजा

श्रावण मास में शिवभक्त विशेष श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिसमें बेलपत्र का अर्पण सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन बेलपत्र चढ़ाते समय कुछ जरूरी नियमों का पालन न करने पर पूजा का फल नहीं मिलता। जानिए बेलपत्र चढ़ाने की सही विधि और सावधानियां।
Post Published By: Sapna Srivastava
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Sawan Somwar: सावन में शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पण में बरतें सावधानी, वरना व्यर्थ हो सकती है आपकी पूजा

New Delhi: हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण (सावन) का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस दौरान लाखों भक्त व्रत रखते हैं शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और बेलपत्र चढ़ाते हैं। शिव पुराण और अन्य शास्त्रों के अनुसार बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। लेकिन कई लोग अनजाने में ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जिससे उनकी पूजा निष्फल हो जाती है।

बेलपत्र का आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व

बेलपत्र तीन पत्तियों वाला पौधा है, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। यह सत्व रज और तम गुणों का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इसे शिवलिंग पर चढ़ाना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।

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बेलपत्र चढ़ाने के शास्त्रीय नियम

फटे या कटे हुए बेलपत्र न चढ़ाएँ: शिवलिंग पर कभी भी टूटे या फटे हुए बेलपत्र नहीं चढ़ाने चाहिए। इससे पूजा का फल नकारात्मक हो सकता है।

तीन पत्तियों वाला बेलपत्र चुनें: बेलपत्र के तीन पत्ते समर्पण भक्ति और आस्था का प्रतीक हैं। इन्हें एक ही तने से जुड़ा होना चाहिए।

चंदन लगाकर चढ़ाएँ: तीनों पत्तों पर चंदन लगाना शुभ माना जाता है। चंदन शीतलता और पवित्रता का प्रतीक है जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।

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टहनी नंदी की ओर होनी चाहिए: बेलपत्र की टहनी हमेशा नंदी की ओर होनी चाहिए, ताकि इसे नियमानुसार चढ़ाया जा सके।

मंत्रोच्चार के साथ चढ़ाएँ: बेलपत्र चढ़ाते समय “ॐ बेलपत्राय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे पूजा अधिक प्रभावशाली होती है।

संकल्प लेकर चढ़ाएँ: यदि कोई विशेष कामना हो तो उसके लिए संकल्प लेकर बेलपत्र चढ़ाएँ। इससे शिवजी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पण नियम (सोर्स-गूगल)

पूजा को सफल बनाने वाली सावधानियां

बेलपत्र स्वयं तोड़कर किसी पवित्र स्थान पर रखना सर्वोत्तम माना जाता है।

सोमवार को बेलपत्र चढ़ाना विशेष फलदायी होता है।

सूखे, मुरझाए या ज़मीन पर गिरे हुए बेलपत्र का प्रयोग न करें।

डिस्क्लेमर

यह लेख धार्मिक मान्यताओं और परंपरागत शास्त्रों पर आधारित है। पूजा विधियों से संबंधित किसी भी निर्णय से पहले योग्य पंडित या विद्वान की सलाह लेना उचित रहेगा।

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