Sanaa: यमन की राजधानी सना एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय संघर्ष का केंद्र बन गई है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, शनिवार को इजरायली वायुसेना द्वारा किए गए एक सटीक हवाई हमले में हूती सरकार के प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी की मौत हो गई है। इस हमले में उनके साथ कई अन्य वरिष्ठ मंत्री भी मारे गए हैं।
हूती समूह, जो यमन के उत्तरी हिस्से में सत्ता पर काबिज है, जिसने इस हमले की पुष्टि की है। विद्रोहियों ने एक बयान में कहा कि यह हमला राजधानी सना में किया गया, जो हूती नियंत्रण वाले क्षेत्र में आता है। इससे पहले गुरुवार को भी सना पर एक इजरायली हमला हुआ था, जिसमें भारी संख्या में लोग हताहत हुए थे।
हमले के पीछे की वजह
इजरायली सेना ने स्पष्ट किया है कि यह हमला हूती विद्रोहियों के सैन्य ठिकानों को निष्क्रिय करने के उद्देश्य से किया गया था। अक्टूबर 2023 में गाजा में शुरू हुए युद्ध के बाद से हूती समूह लगातार इजरायल की ओर मिसाइल और ड्रोन हमले करता रहा है। हूतियों का दावा है कि वे फिलिस्तीनी जनता के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं।
इजरायल की प्रतिक्रिया
इजरायली सेना ने बयान जारी करते हुए कहा कि रविवार को हुए हमले में सना स्थित राष्ट्रपति भवन सहित कई रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया गया। सेना के अनुसार, यह हमला उन स्थलों पर केंद्रित था जहां से हूती समूह इजरायल के खिलाफ अपने अभियान चला रहा था। इजरायल ने यह भी स्पष्ट किया है कि यमन में उसकी सैन्य कार्रवाई तब तक जारी रहेगी जब तक हूती हमले नहीं रुकते।
मानवाधिकार संकट गहराया
गुरुवार के हमले में करीब 10 लोगों की मौत हो गई थी और 90 से अधिक घायल हुए थे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सना में चिकित्सा सेवाएं पहले से ही दबाव में हैं और लगातार हवाई हमलों ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
इस हमले के बाद क्षेत्रीय और वैश्विक तनाव और बढ़ने की आशंका है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संस्थाएं यमन में हालात पर नजर बनाए हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह संघर्ष इसी तरह चलता रहा तो इसका असर पूरे मध्य पूर्व पर पड़ेगा।

