New Delhi: चीन लंबे समय से अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करता रहा है और विक्ट्री डे परेड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस बार की परेड का केंद्र बिंदु पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) का हाई-टेक हथियारों का प्रदर्शन रहा। डोंगफेंग-5सी (DF-5C) मिसाइल को “शो स्टॉपर” कहा गया। इसके साथ ही हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स, रोबोटिक डॉग ड्रोन्स, एंटी-शिप क्रूज मिसाइलें और अनमैन्ड अंडरवाटर व्हीकल्स भी प्रदर्शित किए गए। यह चीन के बढ़ते सैन्य प्रभुत्व का साफ संकेत है।
DF-5C मिसाइल की ताकत
डोंगफेंग-5सी चीन की सबसे आधुनिक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है। इसकी रेंज 13,000 से 16,000 किलोमीटर तक है, यानी यह अमेरिका और यूरोप तक भी हमला कर सकती है। 32.6 मीटर लंबी और 1.83 लाख किलोग्राम वजनी यह मिसाइल लिक्विड-फ्यूल पर आधारित है। इसकी पेलोड क्षमता 3,900 किलोग्राम है, जिसमें 1 से 3 मेगाटन न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाए जा सकते हैं। DF-5C की सबसे खास बात इसकी MIRV क्षमता है, यानी एक ही लॉन्च में यह कई लक्ष्यों को भेद सकती है।
भारत की ताकत – अग्नि-V
भारत की सबसे एडवांस मिसाइल अग्नि-V है, जो 5,000 से 8,000 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है। यह सॉलिड-फ्यूल पर आधारित है और रोड-मोबाइल तथा कैनिस्टर-लॉन्च्ड तकनीक से लैस है। इसका मतलब है कि इसे कहीं भी तैनात किया जा सकता है और दुश्मन इसका आसानी से पता नहीं लगा सकता। इसकी पेलोड क्षमता 1,000 से 1,500 किलोग्राम है।
भारत की मिसाइल डिफेंस प्रणाली
भारत सिर्फ आक्रामक क्षमता ही नहीं बल्कि रक्षात्मक प्रणाली पर भी फोकस कर रहा है। बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) सिस्टम, जैसे पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) और एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD), दुश्मन की मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में सक्षम हैं। यह भारत की सुरक्षा ढाल को और मजबूत बनाता है।
समुद्री क्षमता और न्यूक्लियर ट्रायड
INS अरिघाट से K-4 SLBM का सफल परीक्षण भारत की समुद्री ताकत का उदाहरण है। 3,500 किलोमीटर रेंज वाली यह मिसाइल भारत को सेकंड-स्ट्राइक क्षमता देती है, यानी अगर दुश्मन पहला हमला भी कर दे, तो भारत जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है। जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हमला करने की यह क्षमता भारत की न्यूक्लियर ट्रायड को पूरा करती है।
क्या DF-5C से भारत को खतरा है?
तकनीकी रूप से DF-5C भारत के किसी भी हिस्से को निशाना बना सकती है। इसकी मारक क्षमता और पेलोड इसे खतरनाक बनाते हैं। लेकिन भारत की मिसाइल तकनीक, रक्षा प्रणाली और सेकंड-स्ट्राइक क्षमता इसे चीन के खतरे का जवाब देने में सक्षम बनाती है। युद्ध सिर्फ मिसाइलों से नहीं बल्कि रणनीति और रक्षा संतुलन से तय होता है और इस मामले में भारत लगातार अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।