New Delhi: बच्चों की सेहत और विकास के लिए नींद का अहम रोल होता है। सही समय पर और पर्याप्त नींद न मिलना बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के लिए सोने का समय और नींद की मात्रा उनकी उम्र के अनुसार निर्धारित होनी चाहिए। आइए जानते हैं बच्चों के सोने का सही वक्त और कितना सोना आवश्यक है।
बच्चों की नींद क्यों जरूरी है?
बच्चों की नींद उनके मस्तिष्क के विकास, याददाश्त सुधारने, ऊर्जा पुनः प्राप्त करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होती है। नींद पूरी न होने पर बच्चे चिड़चिड़े, असावधान और थके हुए महसूस कर सकते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई और खेल में भी प्रभाव पड़ता है।
बच्चों की उम्र के अनुसार आवश्यक नींद
नवजात शिशु (0-3 महीने): इस उम्र के बच्चे को लगभग 14 से 17 घंटे की नींद की जरूरत होती है। यह नींद दिनभर में कई बार छोटे-छोटे स्लीप साइकिल में आती है।
शिशु (4-11 महीने): इस चरण में बच्चे को 12 से 15 घंटे की नींद लेना जरूरी होता है। दिन में दो बार की झपकी भी उनकी सेहत के लिए फायदेमंद होती है।
टॉडलर्स (1-2 साल): टॉडलर्स के लिए 11 से 14 घंटे की नींद उचित होती है, जिसमें दिन में एक झपकी भी शामिल हो सकती है।
प्राथमिक विद्यालय के बच्चे (3-5 साल): इस उम्र के बच्चों को 10 से 13 घंटे की नींद लेना चाहिए।
स्कूली बच्चे (6-13 साल): 6 से 13 वर्ष की उम्र के बच्चों को रोजाना 9 से 11 घंटे की नींद आवश्यक होती है।
किशोर (14-17 साल): किशोरों के लिए 8 से 10 घंटे की नींद पर्याप्त मानी जाती है।
सोने का सही वक्त
विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों के लिए रात 9 से 10 बजे के बीच सोना सबसे अच्छा रहता है। इससे उनका शरीर पूरी रात आराम कर पाता है और सुबह तरोताजा उठता है। नियमित समय पर सोना और जागना बच्चों की नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
बच्चों को अच्छी नींद के लिए जरूरी आदतें
रूटीन बनाएं: हर दिन एक निश्चित समय पर सोना और उठना जरूरी है।
स्क्रीन टाइम कम करें: सोने से कम से कम एक घंटे पहले टीवी, मोबाइल, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बंद कर दें।
आरामदायक वातावरण बनाएं: कमरा अंधेरा, शांत और ठंडा हो तो नींद अच्छी आती है।
भारी खाना न खिलाएं: सोने से पहले हल्का और पौष्टिक भोजन दें।
शारीरिक गतिविधि: दिन में खेलकूद और एक्सरसाइज से नींद बेहतर होती है।