Site icon Hindi Dynamite News

Teachers Day special: अब स्कूल से दूर नहीं भागते छात्र, बिहार के इन मास्टर जी ने अपनाया ये रोचक तरीका

कटिहार के सुधानी मध्य विद्यालय ने छात्रों को पढ़ाई में रुचि बढ़ाने के लिए कक्षा को ट्रेन के डिब्बे जैसा रंगा। इससे बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि हुई और पढ़ाई के प्रति उनका उत्साह दोगुना हो गया।
Post Published By: Tanya Chand
Published:
Teachers Day special: अब स्कूल से दूर नहीं भागते छात्र, बिहार के इन मास्टर जी ने अपनाया ये रोचक तरीका

Katihar: शिक्षक दिवस के खास मौके पर बिहार के कटिहार से एक दिलचस्प और प्रेरणादायक कहानी सामने आई है। यह कहानी है सुधानी मध्य विद्यालय की, जहां के शिक्षकों ने बच्चों को स्कूल लाने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। इस पहल ने न केवल छात्रों के स्कूल आने की संख्या बढ़ाई, बल्कि पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि को भी दोगुना कर दिया।

पहले की स्थिति

कुछ समय पहले तक, सुधानी मध्य विद्यालय में छात्र संख्या बहुत कम थी और अधिकांश कक्षाएं खाली रहती थीं। बच्चे स्कूल आने की बजाय अपने अभिभावकों के साथ खेतों में काम करने या घर के घरेलू कार्यों में व्यस्त रहते थे। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब बच्चों ने स्कूल को एक बोरिंग जगह मान लिया और उनकी रुचि पढ़ाई से खत्म हो गई।

जब शिक्षकों ने इस समस्या की जड़ तक पहुंचने की कोशिश की, तो उन्हें यह समझ में आया कि बच्चे स्कूल को आकर्षक नहीं मानते थे। इसलिए स्कूल आने का कोई विशेष कारण नहीं था। बच्चों के बीच स्कूल को लेकर इस नकारात्मक दृष्टिकोण को बदलने के लिए शिक्षकों ने एक अनोखी सोच अपनाई।

Bihar Crime News: बिहार में सनसनीखेज वारदात: मासूम के सामने मां को मारी सिर में गोली

ट्रेन के डिब्बे जैसा कक्षा का रूप

बच्चों की सोच बदलने के लिए स्कूल प्रबंधन ने एक नवाचार किया। उन्होंने कक्षा के भीतर रंग और सजावट की एक नई योजना बनाई, जिसमें कक्षाओं को ट्रेन के डिब्बों की तरह रंग दिया गया। कक्षा को एक ट्रेन का रूप देने का उद्देश्य बच्चों को यह अहसास दिलाना था कि वे किसी ट्रेन के डिब्बे में बैठकर यात्रा कर रहे हैं, न कि किसी साधारण कक्षा में।

इस प्रयोग का असर तुरंत देखने को मिला। कक्षा को ट्रेन के डिब्बे जैसा रूप देने के बाद बच्चों में उत्साह और जोश पैदा हुआ। उन्होंने बताया कि अब वे स्कूल में नहीं बल्कि एक ट्रेन की बोगी में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। यह कल्पना उनके लिए आकर्षक थी और इससे उनका स्कूल में आना शुरू हो गया।

Img- Internet

क्या रहा परिणाम ?

अब यह आलम है कि सुधानी विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति में इज़ाफा हुआ है और हर दिन बच्चे समय पर स्कूल पहुंचते हैं। कक्षाएं अब खाली नहीं रहतीं, बल्कि बच्चों का जोश देखने लायक होता है। बच्चों को पढ़ाई में रुचि बढ़ी है और छुट्टियों के दिन भी उन्हें स्कूल की कमी महसूस होती है।

इस परिवर्तन ने न केवल बच्चों की उपस्थिति बढ़ाई है, बल्कि उनकी पढ़ाई के प्रति मानसिकता को भी बदल दिया है। अब बच्चे अपने समय का अधिकतम उपयोग स्कूल में करने लगे हैं, क्योंकि उन्हें यह महसूस होता है कि स्कूल सिर्फ पढ़ाई का स्थान नहीं है, बल्कि एक मजेदार और रोमांचक जगह भी हो सकती है।

त्योहारों पर रेलवे का बड़ा तोहफा: यूपी-बिहार के लिए चलेंगी 9 जोड़ी फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनें, देखें पूरी सूची

शिक्षक की भूमिका

यह पहल किसी चमत्कारी जादू से कम नहीं है। सुधानी मध्य विद्यालय के शिक्षकों ने जो प्रयास किया, वह न केवल बच्चों की शिक्षा के प्रति सोच को बदलने का काम कर रहा है, बल्कि अन्य स्कूलों के लिए भी एक आदर्श प्रस्तुत कर रहा है। अब अन्य स्कूल भी इस तरीके को अपनाने के बारे में विचार कर रहे हैं।

Exit mobile version