संदेश: यह आख्यान स्पष्ट करता है कि न्याय के सर्वोच्य आसन पर आसीन व्यक्ति गंभीर हो और उस का दायित्व है कि वह अपने विवेक (स्वविवेक) का कभी त्याग न करे।...
2020-07-23 11:12:18
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