भारतीय स्टार्टअप के पंजीयन विदेश में कराने को लेकर दिग्गज उद्योगपति ने कही ये बड़ी बातें
उद्योग जगत के दिग्गज टी वी मोहनदास पई ने कहा है कि ऐसे स्टार्टअप जिनका लगभग पूरा कारोबार और सारे कर्मचारी भारत में हैं, उन पर बड़े निवेशक यदि कंपनी का पंजीयन विदेश में कराने का दबाव बनाते हैं तो उन्हें इसका विरोध करना चाहिए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उद्योग जगत के दिग्गज टी वी मोहनदास पई ने कहा है कि ऐसे स्टार्टअप जिनका लगभग पूरा कारोबार और सारे कर्मचारी भारत में हैं, उन पर बड़े निवेशक यदि कंपनी का पंजीयन विदेश में कराने का दबाव बनाते हैं तो उन्हें इसका विरोध करना चाहिए।
इंफोसिस के पूर्व निदेशक एवं आरिन कैपिटल के चेयरमैन पई ने अमेरिका के प्रमुख बैंक सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) के दिवालिया होने की पृष्ठभूमि में यह कहा।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पई ने भारत केंद्रित स्टार्टअप के संस्थापकों से कहा कि कंपनियों का वित्तपोषण करने वाले निवेशक यदि उन पर अमेरिका में पंजीयन करवाने तथा वहां पर बैंक खाता खोलने का दबाव बनाते हैं तो वे इस दबाव में न आएं और सतर्क रहें। उन्होंने कहा कि सिलिकॉन वैली बैंक स्टार्टअप के लिए मित्रवत बैंक था और इसका दिवालिया होना स्टार्टअप परिवेश के लिए एक झटका है।
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उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह झटका कितना बड़ा है यह तो स्टार्टअप दर स्टार्टअप तथा प्रत्येक संस्थापक से बात करने पर ही पता चल सकता है।’’ हालांकि उन्होंने कहा कि भारतीय स्टार्टअप ने सिलिकॉन वैली बैंक से बहुत अधिक कर्ज नहीं ले रखा है।
पई ने कहा कि ऐसे स्टार्टअप जिनका कारेाबार भारत के इर्दगिर्द है और जिनका अमेरिका से ज्यादा सरोकार नहीं है उन्हें ऐसी कंपनी के तौर पर संचालन करना चाहिए जिसका मुख्यालय भारत में हो।
सिलिकॉन वैली बैंक के दिवालिया होने से अमेरिका में काम करने वाले सॉफ्टवेयर सेवा प्रदाता ज्यादातर भारतीय स्टार्टअप और इनक्यूबेटर वाई कॉम्बिनेटर से जुड़ी कंपनियां प्रभावित होंगी। हालांकि उद्योग जगत लोगों एवं विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि यह प्रभाव लंबा नहीं टिकेगा।
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वाई कॉम्बिनेटर समर्थित स्टार्टअप को एसवीबी में मौजूदा खाते में भुगतान मिलते हैं, हालांकि मीशो और रेजरपेज जैसे इनक्यूबेटर से जुड़ी भारतीय कंपनियों ने अपना पैसा समय रहते निकाल लिया।