बच्चे के इलाज में डॉक्टरों की लापरवाही को लेकर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई कड़ी फटकार, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

शहर की एक अदालत ने चिकित्सकीय लापरवाही के एक मामले की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई और संयुक्त पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी करते हुए यह बताने का निर्देश दिया कि आखिर अभी तक जांच पूरी क्यों नहीं हुई। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

अदालत ने संयुक्त पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी  किया
अदालत ने संयुक्त पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया


नयी दिल्ली: शहर की एक अदालत ने चिकित्सकीय लापरवाही के एक मामले की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई और संयुक्त पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी करते हुए यह बताने का निर्देश दिया कि आखिर अभी तक जांच पूरी क्यों नहीं हुई।

देवर्ष जैन को अगस्त 2017 में जन्म के समय मस्तिष्क में गंभीर रक्तस्राव हुआ था, जिससे उसे लकवा मार गया। उसके जन्म के समय हुई समस्या का पता सात महीने बाद चल पाया था। जैन की उम्र अब पांच साल है।

जैन के माता-पिता का आरोप है कि शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल ने जानबूझकर जन्म के समय उसे हुई समस्याओं को छुपाया, जिससे उसका समय पर इलाज नहीं हो पाया। हालांकि अस्पताल ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है।

सपना जैन ने शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल में ही देवर्ष जैन को जन्म दिया था।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रितिका कंसल ने 30 जून को सुनाए आदेश में कहा, ‘‘ विभिन्न आईओ (जांच अधिकारियों) द्वारा अभी तक ‘मैकेनिकल रिपोर्ट’ के अलावा और कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई। उन्होंने आरोपी अस्पताल से पीड़ित के मेडिकल रिकॉर्ड लेने की जहमत तक भी नहीं उठाई। ’’

उन्होंने पुलिस द्वारा दाखिल ‘स्थिति रिपोर्ट’ (मामले में अभी तक की गई कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट) पर भी असंतोष जाहिर किया।

आदेशानुसार, ‘‘ इसलिए संबंधित संयुक्त पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर अभी तक मामले में जांच पूरी न होने का कारण बताने का निर्देश दिया जाए।’’

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि जांच अधिकारी द्वारा रोहिणी जिला न्यायालय में दायर ‘स्थिति रिपोर्ट’ में उल्लेख किया गया था कि बच्चे के इलाज में लापरवाही के आरोपी दो चिकित्सकों में से एक ने केवल एमबीबीएस किया था, जबकि दूसरे की शैक्षणिक योग्यता की कोई जानकारी नहीं मिली है।

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सपना जैन की शिकायत के आधार पर मामले में अक्टूबर 2019 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

सपना जैन ने उनके बच्चे का इलाज करने वाले डॉ. विवेक जैन और डॉ. अखिलेश सिंह की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में अलग से एक याचिका दायर की है।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने अदालत के समक्ष स्वीकार किया कि सिंह केवल एमबीबीएस हैं, बाल रोग विशेषज्ञ नहीं।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है।










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