कारोबार फिर से शुरू करने का इस कंपनी का रास्ता हुआ साफ

डीएन ब्यूरो

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) ने 400 करोड़ रुपये का पूरा एवं अंतिम भुगतान करके 16 ऋणदाताओं के साथ एकमुश्त निपटान (ओटीएस) की प्रक्रिया पूरी कर ली है।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड
रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड


नयी दिल्ली: रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) ने 400 करोड़ रुपये का पूरा एवं अंतिम भुगतान करके 16 ऋणदाताओं के साथ एकमुश्त निपटान (ओटीएस) की प्रक्रिया पूरी कर ली है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार ऋणदाताओं के साथ 30 दिसंबर 2022 को हुए समझौते में जो समयसीमा तय की गई थी, 2,178 करोड़ रुपये यह ओटीएस उससे करीब एक महीने पहले, आठ मार्च को पूरा हो गया।

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रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) की कार्यकारी चेयरपर्सन रश्मि सलूजा ने कहा कि इस निपटान के साथ ही पूर्ववर्ती प्रवर्तकों के कदाचार से उत्पन्न मुद्दों का समापन हो जाएगा। उन्होंने बताया कि जनवरी 2018 में कंपनी की कमान नए प्रबंधन ने संभाली थी तब से आरएफएल ने ऋणदाताओं की 9,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि चुका दी है।

सलूजा ने कहा कि इस निपटान से आरएफएल का कारोबार फिर से शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने कहा कि आरएफएल का बहीखाता मजबूत होगा जिससे अगली कुछ तिमाहियों में कारोबार की वृद्धि कायम रह सकेगी।

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आरएफएल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पंकज शर्मा ने कहा कि एकमुश्त निपटारे के बाद कंपनी ने अपने कारोबार में नई जान फूंकने की यात्रा शुरू कर दी है और उस पड़ाव पर पहुंच गई है जहां वह अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत कर सकेगी और नियामक अनुपातों पर खरी उतर पाएगी। उन्होंने कहा कि आगे जाकर भी आरएफएल सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को कर्ज देने पर ध्यान देना जारी रखेगी।

ओटीएस की प्रक्रिया पूरी होने के साथ आरएफएल सुधारात्मक कार्रवाई योजना (सीएपी) से बाहर आ जाएगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने कंपनी की वित्तीय सेहत की वजह से जनवरी, 2018 में उसपर सुधारात्मक कार्रवाई योजना लागू की थी। पूर्ववर्ती प्रवर्तक भाइयों शिविंदर सिंह और मालविंदर सिंह द्वारा धन की कथित हेराफेरी के कारण आरएफएल वित्तीय संकट में फंसी थी।










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