Odisha: नुआपाड़ा में तेंदुए का आतंक, 7 साल के बच्चे को बनाया शिकार, बच्चे की मौत

डीएन ब्यूरो

ओडिशा के नुआपाड़ा जिले में तेंदुए के हमले में सात वर्षीय एक बच्चे की मौत हो गई। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

नुआपाड़ा  में तेंदुए का आतंक
नुआपाड़ा में तेंदुए का आतंक


भुवनेश्वर: ओडिशा के नुआपाड़ा जिले में तेंदुए के हमले में सात वर्षीय एक बच्चे की मौत हो गई। एक वन अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अधिकारी के अनुसार मृतक बच्चे की पहचान डंबरुधर धारुआ के रूप में हुई है। उन्होंने कहा कि सोमवार शाम जब वह नुआपाड़ा जिले के सुनाबेड़ा वन्यजीव अभयारण्य के अंदर अपने गांव गोधासपारा में खेल रहा था तभी एक तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया।

उन्होंने बताया कि वन्यजीव अभयारण्य के अंदर एक अन्य गांव के व्यक्ति अर्जुन धारुआ की गोशाला के पास मंगलवार को एक गाय भी मृत पाई गई। वन अधिकारी ने कहा कि गाय के शरीर पर मिले चोट के निशान से प्रतीत होता है कि संभवत: तेंदुए ने उसे मारा है।

बच्चे के पिता हुमन धारुआ ने कहा कि जब डंबरुधर गांव के अन्य बच्चों के साथ खेल रहा था, तो दो तेंदुए गांव में घुस आये। उन्होंने कहा कि एक तेंदुए ने डंबरुधर पर हमला कर दिया और उसे जंगल की ओर खींच ले गया।

उन्होंने कहा, ‘‘जब देखा कि तेंदुआ मेरे बेटे को घसीटते हुये ले जा रहा है तो हमने उसका पीछा किया। बाद में, हमें उसका शव जंगल के अंदर मिला। वहां दो तेंदुए थे।’’

नुआपाड़ा रेंजर गजेंद्र पाल सिंह माथुर ने कहा, ‘‘तेंदुए ने बच्चे की गर्दन पकड़ ली और उसे जंगल में खींच कर ले लिया। सूचना मिलने के बाद वन्यजीव पर्यवेक्षकों और ग्रामीणों ने शव बरामद कर लिया है।’’

उन्होंने बताया कि वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित संवेदनशील गांवों में बाड़ और सौर लाइट लगाने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा ताकि ग्रामीण जंगली जानवरों की आवाजाही पर नजर रख सकें।

मृतक के परिवार को छह लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। वन रेंजर ने बताया कि अंतिम संस्कार करने के लिए परिवार को 60 हजार रुपये की राशि दी जाएगी।

नुआपाड़ा के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) ने कहा, ‘‘हमने शुरुआत में अभयारण्य के अंदर केवल एक तेंदुए की गतिविधि देखी थी। चूंकि ग्रामीण कह रहे हैं कि वहां दो तेंदुए हैं तो हम जांच करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि इस तरह गांव में तेंदुए के बार-बार हमले से यह भी संकेत मिलता है कि जंगल के अंदर उसे पर्याप्त भोजन (शिकार जानवर) नहीं मिल पा रहा है।

 










संबंधित समाचार