Madhya Pradesh: महिला प्राचार्य की जलाकर हत्या के आरोपी की पैरवी न करे कोई भी वकील

डीएन ब्यूरो

मध्यप्रदेश अधिवक्ता परिषद के एक सदस्य ने सोमवार को वकीलों के स्थानीय संगठनों से अपील की कि वे इंदौर जिले में 54 वर्षीय महिला प्राचार्य की जलाकर हत्या के आरोपी की पैरवी उनके किसी भी सदस्य द्वारा नहीं किए जाने का संकल्प पारित करें। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

मध्यप्रदेश अधिवक्ता परिषद
मध्यप्रदेश अधिवक्ता परिषद


इंदौर: मध्यप्रदेश अधिवक्ता परिषद के एक सदस्य ने सोमवार को वकीलों के स्थानीय संगठनों से अपील की कि वे इंदौर जिले में 54 वर्षीय महिला प्राचार्य की जलाकर हत्या के आरोपी की पैरवी उनके किसी भी सदस्य द्वारा नहीं किए जाने का संकल्प पारित करें।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अधिवक्ता परिषद सदस्य जय हार्डिया ने इस वारदात को 'पूरे समाज के खिलाफ अपराध' करार दिया है।

हार्डिया ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा,'महिला प्राचार्य पर दिनदहाड़े पेट्रोल डालकर आग लगाए जाने की वारदात पूरे समाज के खिलाफ अपराध है।'

उन्होंने बताया कि उन्होंने इंदौर जिले के दो प्रमुख वकील संगठनों को पत्र लिखकर उनसे अपील की है कि वे अपनी बैठक बुलाएं और संकल्प पारित करें कि उनका कोई भी सदस्य उक्त मामले के आरोपी की पैरवी नहीं करेगा।

पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) भगवत सिंह विरदे ने बताया कि सिमरोल थाना क्षेत्र स्थित बीएम कॉलेज ऑफ फार्मेसी के पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव (24) ने महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. विमुक्ता शर्मा (54) को इस संस्थान के परिसर में 20 फरवरी को कथित अंकसूची विवाद में दिनदहाड़े पेट्रोल डालकर बुरी तरह जला दिया था।

उन्होंने बताया कि अस्पताल में इलाज के दौरान महिला प्राचार्य ने 25 फरवरी को दम तोड़ दिया था।

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि श्रीवास्तव को वारदात वाले दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया था और जिला प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जारी आदेश के मुताबिक उसे जेल भेज दिया गया है।

विरदे ने बताया,'हमारे पास श्रीवास्तव के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं और हम कोशिश कर रहे हैं कि अदालत में उसके खिलाफ इसी हफ्ते आरोप पत्र पेश कर दिया जाए।'

गौरतलब है कि महिला प्राचार्य की जलाकर हत्या को लेकर आक्रोशित शिक्षकों और विद्यार्थियों की ओर से इंदौर में लगातार रैलियां और मोमबत्ती जुलूस निकाले जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि आरोपी को अदालत से मृत्युदंड दिलाया जाए।










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