Miachaung Cyclone: आंध्र के सांसदों की मांग, चक्रवात से नुकसान के आकलन के लिए केंद्रीय दल भेजा जाए

डीएन ब्यूरो

द्रमुक के नेता टी आर बालू और तेलगू देसम पार्टी (तेदेपा) के सांसद जयदेव गल्ला ने मंगलवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि चक्रवात ‘मिगजॉम’ के कारण तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में हुए नुकसान के आकलन के लिए जल्द केंद्रीय दल भेजा जाए तथा इन राज्यों को सहायता उपलब्ध कराई जाए। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

चक्रवात से नुकसान के आकलन के लिए केंद्रीय दल भेजा जाए
चक्रवात से नुकसान के आकलन के लिए केंद्रीय दल भेजा जाए


नयी दिल्ली: द्रमुक के नेता टी आर बालू और तेलगू देसम पार्टी (तेदेपा) के सांसद जयदेव गल्ला ने मंगलवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि चक्रवात ‘मिगजॉम’ के कारण तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में हुए नुकसान के आकलन के लिए जल्द केंद्रीय दल भेजा जाए तथा इन राज्यों को सहायता उपलब्ध कराई जाए।

दोनों नेताओं ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह मांग उठाई।

बालू ने तमिलनाडु में चक्रवाती तूफान के असर का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र को दल भेजना चाहिए ताकि नुकसान का जायजा लिया जा सके।

उनका कहना था, ‘‘यह महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में इस पर चर्चा की थी। सत्ता पक्ष ने सहमति जताई थी कि इसे सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए।’’

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बालू ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए, गृह मंत्री (अमित शाह) को सुनिश्चित करना चाहिए कि तमिलनाडु को पूरी मदद मिल सके।’’

तेलुगू देसम पार्टी के जयदेव गल्ला ने कहा कि चक्रवात की वजह से हुई बारिश के कारण फसलों को बहुत नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार इसका आकलन कर रही है कि कितना नुकसान हुआ है...मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से आग्रह करता हूं कि केंद्रीय दल भेजा जाए ताकि नुकसान का आकलन हो सके और सहायता राशि जारी की जा सके।’’

गल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार को आंध्र प्रदेश के लिए फिलहाल 5,000 करोड़ रुपये की राशि जारी करनी चाहिए।

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शून्यकाल के दौरान कुछ अन्य सदस्यों ने भी लोक महत्व के अलग-अलग विषय उठाए।

द्रमुक के टी आर परिवेंदर ने कहा कि सरकार जल्द जाति आधारित जनगणना और परिसीमन कराए ताकि महिला आरक्षण विधेयक के क्रियान्वयन के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़े।

डाइनामाइट न्यूज़ संवादाता के अनुसार शिवसेना के ओमप्रकाश भूपालसिंह ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का विषय उठाया और कहा कि इस संबंध में आंदोलनकारियों की मांग जरूरी विधायी कदम उठाते हुए मानी जानी चाहिए।










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