Jammu & Kashmir: अमशीपोरा मुठभेड़ मामले में सैन्य अदालत की सिफारिश का महबूबा ने किया स्वागत

डीएन ब्यूरो

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने 2020 में शोपियां जिले के अमशीपोरा इलाके में ‘‘सुनियोजित’’ मुठभेड़ में तीन श्रमिकों के मारे जाने के मामले में सेना के एक कैप्टन को आजीवन कारावास की सजा देने का स्वागत किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती


श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने 2020 में शोपियां जिले के अमशीपोरा इलाके में ‘‘सुनियोजित’’ मुठभेड़ में तीन श्रमिकों के मारे जाने के मामले में सेना के एक कैप्टन को आजीवन कारावास की सजा देने की सिफारिश का सोमवार को स्वागत किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मुफ्ती ने उम्मीद जताई कि 2021 में लावेपोरा और हैदरपोरा में हुई मुठभेड़ के संबंध में भी निष्पक्ष जांच का आदेश दिया जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘अमशीपोरा फर्जी मुठभेड़ में शामिल कैप्टन के लिए आजीवन कारावास की सजा की सिफारिश ऐसे मामलों में जवाबदेही तय करने की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है। आशा है कि लावेपोरा और हैदरपोरा मुठभेड़ मामलों में भी निष्पक्ष जांच का आदेश दिया जाएगा, ताकि इस तरह की जघन्य घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।’’

अधिकारियों ने रविवार को बताया थलसेना की एक अदालत ने जुलाई 2020 में दक्षिण कश्मीर के अमशीपोरा में एक मुठभेड़ के दौरान तीन लोगों की मौत होने के मामले में एक कैप्टन के लिए उम्र कैद की सजा की सिफारिश की है।

उन्होंने बताया कि एक ‘कोर्ट ऑफ इनक्वायरी’ और ‘साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया’ में यह पाया गया कि सैनिकों ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफ्सपा) के तहत प्रदत्त शक्तियों का उल्लंघन किया, जिसके बाद कैप्टन भूपेंद्र सिंह का ‘कोर्ट मार्शल’ किया गया।

उन्होंने बताया कि उम्र कैद की सजा की पुष्टि सेना के उच्चतर प्राधिकारों द्वारा की जानी बाकी है।

जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिला निवासी तीन लोगों--इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार-- को ‘आतंकवादी’ बताते हुए 18 जुलाई 2020 को शोपियां जिले के दूर-दराज के एक गांव में मार दिया गया था।

हालांकि, मुठभेड़ में मौत के इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर संदेह जताया गया, जिसके शीघ्र बाद सेना ने एक ‘कोर्ट ऑफ इनक्वायरी’ गठित की, जिसने प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि सैनिकों ने अफ्सपा के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन किया है।










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