Delhi Excise Policy: सुप्रीम कोर्ट से मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाएं खारिज, जानिये क्या कहा अदालत ने
उच्चतम न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाला से संबंधित भ्रष्टाचार एवं धन शोधन के मामलों में सोमवार को दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की नियमित जमानत की अपीलेंखारिज कर दी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाला से संबंधित भ्रष्टाचार एवं धन शोधन के मामलों में सोमवार को दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की नियमित जमानत की अपीलें यह कहकर खारिज कर दी कि मामले में अस्थायी तौर पर 338 करोड़ रुपये के हस्तांतरण की पुष्टि हुई है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना एवं न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने कहा कि उसने जांच एजेंसियों के बयान को रिकॉर्ड किया है कि इन मामलों में सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी हो जाएगी।
पीठ ने कहा कि अगर सुनवाई की कार्यवाही में देरी होती है तो सिसोदिया तीन महीने में इन मामलों में जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘विश्लेषण में कुछ ऐसे पहलू हैं जिन्हें हमने संदिग्ध बताया है। लेकिन 338 करोड़ रुपये के धन हस्तांतरण के संबंध में एक पहलू की अस्थायी रूप से पुष्टि हुई है। इसलिए हमने जमानत की अर्जी खारिज कर दी है।’’
न्यायमूर्ति खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘उन्होंने (जांच एजेंसियों ने) कहा है कि सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी हो जाएगी। इसलिए तीन महीने के भीतर अगर मुकदमे की कार्यवाही में लापरवाही या देरी होती है, तो वह (सिसोदिया) जमानत के लिए आवेदन दायर करने के हकदार होंगे।’’
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पीठ ने कहा कि फैसले में उन दलीलों और कुछ कानूनी सवालों का जिक्र किया गया है, जिनका जवाब नहीं मिला। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘उनमें से अधिकांश का उत्तर नहीं दिया गया है और अगर उनका उत्तर दिया भी गया है तो बेहद सीमित तरीके से दिया गया है।’’
शीर्ष अदालत ने अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में दायर सिसोदिया की दो अलग-अलग नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। उच्चतम न्यायालय ने 17 अक्टूबर को दोनों याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सिसोदिया को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी को ‘‘घोटाले’’ में उनकी भूमिका के आरोप में गिरफ्तार किया था। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता तब से ही हिरासत में हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद नौ मार्च को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धन शोधन के मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया। सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
उच्च न्यायालय ने 30 मई को सीबीआई के मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री रहने के कारण वह एक ‘‘हाई-प्रोफाइल’’ व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
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उच्च न्यायालय ने तीन जुलाई को दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन के मामले में सिसोदिया को जमानत देने से यह कहकर इनकार कर दिया था कि उनके खिलाफ आरोप ‘‘बहुत गंभीर प्रकृति’’ के हैं।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को यह नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया। जांच एजेंसियों के मुताबिक, नयी नीति के तहत थोक विक्रेताओं का मुनाफा पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया था।
एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि नयी नीति के परिणामस्वरूप गुटबंदी हुई और धन लाभ पाने के लिए शराब लाइसेंस देने में अयोग्य लोगों को लाभ दिया गया। दिल्ली सरकार और सिसोदिया ने किसी भी गलत काम से इनकार किया और नयी नीति से दिल्ली के राजस्व हिस्से में वृद्धि का दावा किया है।