फर्जी मुठभेड़ केस में फंसी महाराष्ट्र पुलिस, दो पुलिसकर्मियों पर FIR, जानिये हत्या से जुड़ा मामला

डीएन ब्यूरो

महाराष्ट्र में चोरी के कई मामलों में वांछित आरोपी जोगिंदर राणा की 2018 में कथित फर्जी मुठभेड़ के सिलसिले में दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या, सबूतों को गायब करने और आपराधिक साजिश के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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पालघर: महाराष्ट्र में चोरी के कई मामलों में वांछित आरोपी जोगिंदर राणा की 2018 में कथित फर्जी मुठभेड़ के सिलसिले में दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या, सबूतों को गायब करने और आपराधिक साजिश के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, उसने बताया कि पुलिसकर्मियों पर हत्या, सबूत गायब करने और आपराधिक साजिश करने के आरोप है। बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के दो हफ्ते बाद बुधवार को यह मामला दर्ज किया गया।

न्यायालय ने घटना की जांच के लिए ठाणे पुलिस आयुक्त की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने तथा चार सप्ताह के भीतर अदालत को रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था।

अदालत ने जोगिंदर राणा के भाई सुरेंद्र राणा द्वारा दायर याचिका के तहत यह आदेश पारित किया।

सुरेंद्र राणा ने अपनी याचिका में दावा किया था कि पुलिस नायक मनोज सकपाल और पुलिस हेड कांस्टेबल मंगेश चव्हाण ने जोगिंदर राणा का फर्जी एनकाउंटर किया था। दोनों पुलिसकर्मी महाराष्ट्र के पालघर जिले के नालासोपारा में स्थानीय अपराध शाखा से जुड़े थे।

इससे पहले पालघर के पुलिस अधीक्षक ने पहले की सुनवाई के दौरान न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि जोगिंदर राणा ने ही सबसे पहले पुलिस पर हमला किया था।

हलफनामे के अनुसार, 23 जुलाई, 2018 को चव्हाण और सकपाल पुलिस थाने आ रहे थे, तभी उसने जोगिंदर को देखा और उसे रोका। जब दोनों ने जोगिंदर को रोका तो उसने चाकू से दोनों पर हमला कर दिया।

हलफनामे में बताया गया कि जवाबी कार्रवाई में चव्हाण ने जोगिंदर पर दो गोलियां चलाई, जिससे उसकी मौत हो गयी।

पुलिस ने बताया कि चव्हाण और सकपाल को इलाज के लिए नालासोपारा इलाके के तुलिंज के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

सुरेंद्र राणा के वकील दत्ता माने ने अदालत को बताया था कि घटना के दौरान और बाद में, सार्वजनिक/चश्मदीद गवाहों ने जो तस्वीरें खींची थीं और वीडियो रिकॉर्ड की थीं, उससे पता चलता है कि पुलिस ने जोगिंदर का 'फर्जी' एनकाउंटर किया था।

माने ने अदालत को बताया कि मृतक के भाई सुरेंद्र राणा ने प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर महाराष्ट्र सरकार, पुलिस महानिदेशक तथा पालघर के पुलिस अधीक्षक जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को कई अभ्यावेदन दिए थे।

बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, तुलिंज पुलिस ने बुधवार को दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), धारा 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना), धारा 386 (किसी भी व्यक्ति को मौत के भय में डालकर जबरन वसूली) और धारा 34 (सामान्य इरादा) तथा शस्त्र अधिनियम के प्रावधान के तहत प्राथमिकी दर्ज की।










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