भद्रवाह में जेल के कैदियों ने किया योग, जानिये सरकार के इस खास अभियान के बारे में
जम्मू कश्मीर के डोडा जिले की भद्रवाह जेल के कैदियों के लिए रविवार को 10 दिवसीय योग कार्यक्रम शुरू किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कैदियों को अवसाद से उबरने में मदद करना और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
भद्रवाह: जम्मू कश्मीर के डोडा जिले की भद्रवाह जेल के कैदियों के लिए रविवार को 10 दिवसीय योग कार्यक्रम शुरू किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कैदियों को अवसाद से उबरने में मदद करना और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अधिकारियों ने कहा कि यह कार्यक्रम आयुष मंत्रालय के निरंतर प्रयासों का हिस्सा है जिसमें मादक पदार्थों के खतरे को खत्म करने के लिए समाज के हर वर्ग तक पहुंचना है।
आयुष मंत्रालय की योग चिकित्सक निधि पाधा ने कैदियों को विभिन्न 'आसन' सिखाए जिससे 'नशा मुक्त भारत अभियान' के तहत 10 दिवसीय प्रशिक्षण-सह-योग जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसका नारा है,' योग को कहे हां और मादक पदार्थ को कहे ना'।
चिकित्सक ने जेल के कैदियों को उनकी मानसिक शक्ति को और बेहतर करने के लिए भी कुछ निर्देश दिए, जिससे वे नकारात्मकता से दूर रहते हुए अपने भीतर नशे को न कहने की हिम्मत पैदा कर सकें।
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पाधा ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''योग निश्चित रूप से कैदियों को तनावमुक्त करने में मदद करेगा, विशेष रूप से उन कैदियों को जिन्हें स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनयम के तहत गिरफ्तार किया गया है। योग कैदियों के आत्मबल, संतुलन, लचीलेपन, ध्यान, सांस लेने और नकारात्मक विचारों तथा विषाक्त लत से स्वयं दूर रहने में मदद करेगा।''
उन्होंने बताया कि लगातार योगाभ्यास करने से कैदी अवसाद से उबर पायेंगे और यह जेल से छूटने के बाद कैदियों को मुख्यधारा में जुड़ने भी मदद करेगा।
कैदियों ने अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया और उनमें से कई ने कहा कि केवल एक सत्र के बाद ही उन्हें कम परेशानी और अधिक सकारात्मक महसूस हुई।
एक कैदी सद्दाम हुसैन(34) ने कहा, ''एनडीपीएस अधिनियम में मामला दर्ज होने के बाद मैं यहां सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत एक वर्ष से हिरासत में हूं। मैं नशे का आदी था लेकिन जेल आने से मुझमें सकारात्मक बदलाव आए हैं। मुझे लगता है कि योग अभ्यास करने से आगे मदद मिलेगी। ''
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इरशाद अहमद(31) ने बताया कि वह दो वर्षों से जेल में हैं और अपने परिवार से दूर होने के चल अवसाद में है।
उसने कहा,''योग सत्र में शामिल होने के बाद मुझे अच्छा लग रहा है। मुझे आशा है कि लगातार योग और ध्यान से मेरे जीवन में सकारात्मकता आएगी।''