बाघ संरक्षण को लेकर भारत में बहुत अधिक चुनौतियां हैं

डीएन ब्यूरो

भारत में बाघों की संख्या 2006 में 1,411 थी, जो 2022 में बढ़कर 3,167 हो गई, लेकिन उनके संरक्षण की दिशा में अब भी कई चुनौतियां हैं, जिनसे निपटने की जरूरत है। ‘स्टेटस टाइगर-2022’ रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

स्टेटस टाइगर (फाइल)
स्टेटस टाइगर (फाइल)


भारत: बाघों की संख्या 2006 में 1,411 थी, जो 2022 में बढ़कर 3,167 हो गई, लेकिन उनके संरक्षण की दिशा में अब भी कई चुनौतियां हैं, जिनसे निपटने की जरूरत है। ‘स्टेटस टाइगर-2022’ रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रविवार को यहां जारी बाघ गणना के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि बाघों की संख्या 2006 में 1,411, 2010 में 1,706, 2014 में 2,226, 2018 में 2,967 और 2022 में 3,167 थी।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘जंगलों और उनके वन्यजीवन की रक्षा करते हुए बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास की आकांक्षाओं को पूरा करना तथा मानव-बाघ संघर्ष को कम करना प्रमुख चुनौतियों में शामिल है।’’

इसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बाघों के आवास पर पड़ने वाले प्रभाव और समय के साथ वनों की गुणवत्ता पर असर पड़ना अन्य बढ़ते खतरे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बाघ के आवास वाले लगभग चार लाख वर्ग किलोमीटर के जंगलों में से केवल एक तिहाई ही अपेक्षाकृत स्वस्थ स्थिति में हैं।

इसमें यह भी रेखांकित किया गया है कि अवैध वन्यजीव कारोबार सामान्य रूप से सभी वन्यजीवों और विशेष रूप से बाघों के लिए एक बड़ा खतरा है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भले ही शिकार करना अवैध है, लेकन बाघ उत्पादों की मांग बहुत अधिक है और शिकारियों का लाभ के लिए बाघों को मारना जारी है।’’

बाघों की गणना विभिन्न राज्यों के वन विभागों के व्यापक प्रयासों का परिणाम है। सर्वेक्षण पांच परिदृश्यों-शिवालिक रेंज और गंगा के मैदान; मध्य भारत के उच्चभूमि इलाकों और पूर्वी घाट; पश्चिमी घाट; उत्तर पूर्व की पहाड़ियां और ब्रह्मपुत्र बाढ़ मैदान और सुंदरबन में किया गया।

‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस’ (आईबीसीए) की शुरुआत की। आईबीसीए का उद्देश्य बाघ और शेर समेत दुनिया की ‘बिग कैट’ परिवार की सात प्रमुख प्रजातियों की रक्षा एवं संरक्षण करना है।

मोदी ने ‘अमृत काल का टाइगर विजन’ नाम की एक पुस्तिका का विमोचन भी किया, जो अगले 25 वर्षों में देश में बाघों के संरक्षण के लिए दृष्टिकोण पेश करती है। 'स्टेटस ऑफ टाइगर्स-2022' में अपने संदेश में मोदी ने महाभारत के 'उद्योग पर्व' से एक संस्कृत श्लोक का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है, ‘‘निर्वनो वध्यते व्याघ्रो निर्व्याघ्रं छिद्यते वनम्। तस्माद्व्याघ्रो वनं रक्षेद्वनं व्याघ्रञ्च पालयेत्॥।’’ इसका अर्थ है, ‘‘जंगल नहीं होने पर बाघ मारे जाते हैं, यदि बाघ नहीं होते, तो जंगल नष्ट हो जाता है। इसलिए, बाघ जंगल की रक्षा करता है और जंगल, बाघ की रक्षा करता है।’’










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