वायु गुणवत्ता खराब होने से सांस संबंधी बीमारियों के मामलों में वृद्धि

डीएन ब्यूरो

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि विभिन्न अस्पतालों के निगरानी आंकड़ों के प्रारंभिक अवलोकन से पता चलता है कि हवा की गुणवत्ता खराब होने की अवधि के दौरान श्वसन संबंधी बीमारी के मामलों में वृद्धि होती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया


नयी दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि विभिन्न अस्पतालों के निगरानी आंकड़ों के प्रारंभिक अवलोकन से पता चलता है कि हवा की गुणवत्ता खराब होने की अवधि के दौरान श्वसन संबंधी बीमारी के मामलों में वृद्धि होती है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और जलवायु परिवर्तन व मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम ने 18 राज्यों के लगभग 80 अस्पतालों में स्थापित प्रहरी निगरानी साइटों के माध्यम से तीव्र श्वसन बीमारियों पर निगरानी शुरू की है।

मांडविया ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि यह निगरानी संबंधित वायु गुणवत्ता स्तर के संबंध में शहरों के प्रहरी अस्पतालों से रिपोर्ट की गई तीव्र श्वसन बीमारियों के रुझानों का निरीक्षण करने के लिए है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के आंकड़ों से मिली प्रारंभिक टिप्पणियों से पता चलता है कि हवा की गुणवत्ता खराब होने की अवधि के दौरान सांस की बीमारी के मामलों में वृद्धि होती है।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘एआरआई’ डिजिटल निगरानी डेटा अगस्त 2023 में एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल के माध्यम से शुरू किया गया था।

वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी बीमारियों और संबंधित बीमारियों के लिए प्रमुख कारकों में से एक है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि श्वसन प्रणाली सहित मानव शरीर का स्वास्थ्य कई अन्य कारकों से भी प्रभावित होता है जिसमें व्यक्तियों के भोजन, व्यवसाय, चिकित्सा सह-रुग्णता, प्रतिरक्षा और आनुवंशिकता आदि शामिल हैं।

मांडविया ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘वायु प्रदूषण और फेफड़ों की बीमारी के बीच संबंध अच्छी तरह से स्थापित है।’’

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) और इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के सहयोग से 2018 में ‘भारत में मौतों, बीमारी के बोझ और जीवन प्रत्याशा पर वायु प्रदूषण का प्रभाव’ शीर्षक से एक अध्ययन किया था।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने श्वसन रुग्णता पर वायु प्रदूषण में वृद्धि के तीव्र प्रभाव का दस्तावेजीकरण करने के लिए एक अध्ययन भी किया है।

मांडविया ने कहा, ‘‘विश्लेषण से पता चला है कि प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के साथ आपातकालीन कक्षों में जाने वाले रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई थी। बच्चों में प्रभाव अधिक स्पष्ट था।’’

केंद्रीय मंत्री ने वायु प्रदूषण के मुद्दों को हल करने के लिए उठाए गए कई कदमों को भी सूचीबद्ध किया।










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