प्राथमिक विद्यालयों में सुधार, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में पहले के मुकाबले बहुत सुधार हुआ है, लेकिन अभी सब कुछ ठीक नहीं हुआ है और बहुत कुछ किया जाना बाकी है, ऐसे में स्कूलों की जांच के लिए किसी कमेटी के गठन की आवश्यकता नहीं है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
लखनऊ: संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में पहले के मुकाबले बहुत सुधार हुआ है, लेकिन अभी सब कुछ ठीक नहीं हुआ है और बहुत कुछ किया जाना बाकी है, ऐसे में स्कूलों की जांच के लिए किसी कमेटी के गठन की आवश्यकता नहीं है।
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्य डॉ. रागिनी ने बेसिक शिक्षा के स्कूलों की व्यवस्था को लेकर प्रश्न किया, जिसके उत्तर में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा कि पहले के मुकाबले स्कूलों में बहुत सुधार हुआ है।
इस पर पूरक प्रश्न करते हुए डॉ. रागिनी ने कहा कि क्या सरकार सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की एक कमेटी बनाएगी, जो विद्यालयों में हुए सुधार की जांच करके अपनी रिपोर्ट दे।
यह भी पढ़ें |
देवरिया अपर पुलिस अधीक्षक की प्रेरक पहल
जवाब में संसदीय कार्य मंत्री खन्ना ने कहा कि स्कूलों में पहले के मुकाबले बहुत सुधार हुआ है, लेकिन सब कुछ ठीक नहीं हुआ है और अभी बहुत कुछ करना बाकी है, इसलिए कमेटी बनाने की आवश्यकता नहीं है।
इससे पहले, सपा सदस्य ने पूछा था कि क्या प्रदेश के कुछ प्राथमिक स्कूलों में एक या दो कमरों में ही सभी कक्षाओं की पढ़ाई हो रही है और क्या सरकार मानक के अनुरूप कमरों का निर्माण कर शिक्षकों की तैनाती करेगी।
जवाब में मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि हां सरकार ऐसी करेगी। उन्होंने बताया कि कुछ विद्यालयों में एक या दो कक्षों में कक्षाएं संचालित हो रही हैं।
यह भी पढ़ें |
महराजगंज: विधायक ने बांटी नई ड्रेस, खिल उठे बच्चों के चेहरे
सिंह ने कहा कि जिलों से प्राप्त अतिरिक्त कक्षा-कक्षों का प्रस्ताव समग्र शिक्षा की आगामी वर्षों की वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट में किया जाएगा तथा प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार से स्वीकृति के बाद अतिरिक्त कक्षा-कक्षों का निर्माण कराया जा सकेगा।
मंत्री ने बताया कि आरटीई (शिक्षा का अधिकार) मानक के अनुसार पर्याप्त संख्या में शिक्षक उपलब्ध हैं, जिनकी जरूरत के हिसाब से तैनाती की जाएगी।