नई दिल्ली: देशभर में भगवान हनुमान को बाल ब्रह्मचारी और परम तपस्वी के रूप में पूजा जाता है, लेकिन दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां हनुमान जी की पत्नी सुवर्चला देवी के साथ उनकी संयुक्त पूजा की जाती है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह मंदिर न केवल धार्मिक मान्यताओं की दृष्टि से अद्वितीय है, बल्कि अपनी स्थापना कथा और सांस्कृतिक परंपरा के कारण भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का विशेष केंद्र बन गया है।
यहां होता है भगवान हनुमान का विवाह उत्सव
यह चमत्कारी और दुर्लभ मंदिर तेलंगाना के खम्मम जिले के एलंदु गांव में स्थित है। मंदिर का नाम "श्री सुवर्चला सहिता हनुमान मंदिर" है। यहां हर वर्ष ज्येष्ठ शुद्ध दशमी के दिन बड़े धूमधाम से हनुमान जी और देवी सुवर्चला का विवाह उत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर स्थानीय श्रद्धालु बड़ी संख्या में एकत्र होकर विशेष पूजा, यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। मंदिर की स्थापना वर्ष 2006 में की गई थी और इसे अब पूरे भारत में एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां हनुमान जी को पत्नी के साथ पूज्य माना गया है।
कौन हैं देवी सुवर्चला? कैसे हुआ विवाह?
मंदिर के पुजारी पी. सिम्हा आचार्युलु का कहना है कि हनुमान जी ने अपने गुरु सूर्यदेव से दिव्य विद्याओं की शिक्षा प्राप्त की थी। सूर्यदेव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं, जिनमें से केवल 5 विद्याएं ही अविवाहित शिष्यों को दी जा सकती थीं। शेष 4 विद्याएं केवल विवाहित शिष्यों को ही दी जाती थीं, जिन्हें ग्रहण करने के लिए हनुमान जी को कुछ समय गृहस्थ जीवन में प्रवेश करना आवश्यक था।
पहले तो हनुमान जी इस शर्त को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हुए, क्योंकि वे स्वयं को बाल ब्रह्मचारी मानते थे। लेकिन सूर्यदेव ने उन्हें आश्वस्त किया कि विवाह के बाद भी वे ब्रह्मचारी और तपस्वी रह सकते हैं। तब उन्होंने अपनी सुपुत्री सुवर्चला देवी का विवाह हनुमान जी से कराया। विवाह केवल विद्या की पूर्णता के उद्देश्य से हुआ था और इसके पश्चात दोनों पुनः तपस्या के मार्ग पर लौट गए।
सुवर्चला देवी की विशेषता
देवी सुवर्चला को सूर्यवंशी ज्ञान की देवी माना जाता है। मान्यता है कि वे नारी शक्ति की प्रतीक हैं और अपने तपस्वी रूप में आज भी भगवान हनुमान के साथ आध्यात्मिक रूप से जुड़ी हुई हैं। इस मंदिर में पूजा करने वाले भक्तों का विश्वास है कि वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं, रोजगार में रुकावटें और व्यवसाय में स्थिरता जैसे जीवन के कठिन चरण हनुमान और सुवर्चला देवी की कृपा से दूर हो जाते हैं।
उत्तर भारत के लिए अनजाना
जहां उत्तर भारत में भगवान हनुमान को एक अविवाहित ब्रह्मचारी के रूप में पूजा जाता है, वहीं यह मंदिर एक अलग दृष्टिकोण और परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है। पुजारी पी. सिम्हा कहते हैं, “यह मंदिर धार्मिक विविधता और भारत की आध्यात्मिक परंपराओं की गहराई को दर्शाता है। यहां आने वाले भक्तों को सिर्फ आस्था ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संतुलन और नई ऊर्जा की अनुभूति भी होती है।”
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
आज यह मंदिर न केवल तेलंगाना के लोगों के लिए, बल्कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का बड़ा केंद्र बन गया है। विवाह, संतान प्राप्ति, करियर और शांति की कामना करने वाले भक्त बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। जिसके बाद हनुमान-सुवर्चला की संयुक्त आराधना करते हैं।