अमेरिका में फिर से बजा भारतीय मूल के इकोनॉमिस्ट का डंका, मिला जॉर्ज लेडली अवॉर्ड

डीएन ब्यूरो

भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री राज चेट्टी को अमेरिका के हित में और दूसरों के समक्ष पेश होने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए अथक प्रयास करने के लिए प्रतिष्ठित जॉर्ज लेडली पुरस्कार से नवाजा गया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री राज चेट्टी
भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री राज चेट्टी


ह्यूस्टन: भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री राज चेट्टी को अमेरिका के हित में और दूसरों के समक्ष पेश होने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए अथक प्रयास करने के लिए प्रतिष्ठित जॉर्ज लेडली पुरस्कार से नवाजा गया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, चेट्टी हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अपॉर्चुनिटी इनसाइट्स के निदेशक भी हैं। यह हार्वर्ड स्थित अर्थशास्त्रियों का एक समूह जो असमानता का अध्ययन करता है।

यूनिवर्सिटी प्रोवोस्ट एवं शैक्षणिक अधिकारी एलन एम. गार्बर ने कहा, ‘‘ आर्थिक गतिशीलता पर राज के अभूतपूर्व कार्य और नीति निर्माताओं के साथ इस जानकारी को साझा करने के उनके प्रयास अमेरिकी सपने को साकार करने में मदद करते हैं।’’

वहीं चेट्टी ने कहा कि जब वह नौ साल के थे तब अपने माता-पिता के साथ भारत से अमेरिका आने से उनकी असमानता पर काम करने को लेकर रुचि बढ़ी। उन्होंने न केवल भारत और अमेरिका के बीच बल्कि अपने तथा रिश्ते के भाई-बहनों के बीच भी कई असमानताएं देखी।

चेट्टी ने कहा कि उनके माता-पिता जो दक्षिण भारत के बहुत कम आय वाले परिवारों और गांवों में पले-बढ़े थे... उस समय भारत में यह आम था कि परिवार में से किसी एक को ही उच्च शिक्षा दिलाने के लिए चुना जाता था।

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी मां को उनके परिवार से और मेरे पिता को उनके परिवार से उच्च शिक्षा दिलाने के लिए चुना गया। मैंने देखा है कि इसका मेरे परिवार में कई पीढ़ियों पर कैसा असर पड़ा है... मेरे रिश्ते के भाई-बहनों और मुझे जो अवसर मिले उनमें जो अंतर था...मैं यहां हार्वर्ड आया और मुझे जो विभिन्न अवसर मिले, मुझे लगता है कि वे उसी के कारण है।’’

चेट्टी ने कहा कि तब से वह नस्लीय असमानताओं और सामाजिक पूंजी व संपर्क की भूमिका सहित अन्य कारकों का पता लगाने के लिए काम करने लगे।

उन्होंने कहा कि लेडली पुरस्कार से उनके काम को मिली मान्यता से कुछ हद तक अर्थशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में मान्यता मिली है।

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में सिस्टम बायोलॉजी के प्रोफेसर जीवविज्ञानी माइकल स्प्रिंगर को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। स्प्रिंगर को कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने में मदद करने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। स्प्रिंगर ने नई हार्वर्ड यूनिवर्सिटी क्लिनिकल लेबोरेटरी (एचयूसीएल) को डिजाइन और संचालित करने में भी मदद की थी जो परीक्षण और नमूनों का प्रबंधन करती थी।










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