ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बच्चों के लिए मुफ्त ‘वेप्स’ पर शिकंजा कसा
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने मंगलवार को बच्चों को “भ्रष्ट कंपनियों और ऑनलाइन बदमाशों” से बचाने के लिए एक कार्रवाई शुरू करते हुए कहा, “मेरी बेटियां 10 और 12 साल की हैं, और मैं नहीं चाहता कि जिस तरह से वेप्स का विपणन, प्रचार और बिक्री की जाए, वह उनके प्रति आकर्षित हों।”
लंदन: ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने मंगलवार को बच्चों को “भ्रष्ट कंपनियों और ऑनलाइन बदमाशों” से बचाने के लिए एक कार्रवाई शुरू करते हुए कहा, “मेरी बेटियां 10 और 12 साल की हैं, और मैं नहीं चाहता कि जिस तरह से वेप्स का विपणन, प्रचार और बिक्री की जाए, वह उनके प्रति आकर्षित हों।”
स्कूली बच्चों के हाथों में सीसा युक्त अवैध ‘वेप्स’ पहुंचने की खबरों पर हैरानी जताते हुए इसपर शिकंजा कसने के लिए नए उपायों की घोषणा की।
स्कूली छात्राओं अनुष्का और कृष्णा के पिता ने ट्विटर पर कहा, “मेरी बेटियां 10 और 12 साल की हैं, और मैं नहीं चाहता कि जिस तरह से वेप्स का विपणन, प्रचार और बिक्री की जा रही है वह उनके लिए आकर्षक हो।”
उन्होंने कहा, “इसलिए मैं आज बच्चों की सुरक्षा के लिए एक नई कार्रवाई शुरू कर रहा हूं और जिसके निशाने पर भ्रष्ट कंपनियों और ऑनलाइन बदमाश होंगे जो उनके हाथों में वेप्स थमा रहे हैं।”
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कानून की कुछ कमियां खुदरा विक्रेताओं को इंग्लैंड में बच्चों को वेप्स के निशुल्क नमूने देने की अनुमति देती हैं, हालांकि नई योजनाओं के तहत इन कमियों को दूर किया जाएगा।
देश में 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को वेप्स बेचना अवैध है, लेकिन यह पाया गया कि कारोबार से जुड़े लोग निशुल्क नमूनों की रंगीन पैकेजिंग के जरिये बच्चों को लक्षित करते हैं।
ब्रिटिश सरकार ने यह भी घोषणा की है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को ‘निकोटीन-मुक्त’ वेप्स बेचने वाले खुदरा विक्रेताओं पर प्रतिबंध लगाने की समीक्षा की जाएगी।
सुनक ने कहा, “मैं बच्चों में तेजी से बढ़ रही वेप्स की लत के बारे में चिंतित हूं और स्कूली बच्चों के हाथों में सीसा युक्त अवैध वेप्स की खबरों से हैरान हूं। मैं आज आगे की कार्रवाई उन फर्मों पर नकेल कसने के लिए कर रहा हूं, जो इन उत्पादों के साथ हमारे बच्चों को अवैध रूप से निशाना बनाती हैं।”
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वर्ष 2021 के लिए हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के आंकड़ों में दिखाया गया है कि 11 से 15 आयुवर्ग के नौ प्रतिशत बच्चे ई-सिगरेट या वेप्स का इस्तेमाल करते हैं, जबकि 2018 में यह आंकड़ा छह प्रतिशत था।
वेप्स में एक उपकरण के माध्यम से उपयोगकर्ता धुआं मुंह के अंदर खींचता है। वेप्स में कई बार निकोटिन युक्त सामग्री का भी इस्तेमाल किया जाता है।