सौर गठबंधन के बाद भारत का ऊर्जा बदलाव के लिए जैव ईंधन समूह का प्रस्ताव

डीएन ब्यूरो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत का जी-20 सदस्य देशों को जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिये वैश्विक गठबंधन का प्रस्ताव हरित ऊर्जा की दिशा में बदलाव को लेकर पर्यावरण अनुकूल जैव ईंधन के उपयोग में तेजी लाने में मददगार होगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी


नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत का जी-20 सदस्य देशों को जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिये वैश्विक गठबंधन का प्रस्ताव हरित ऊर्जा की दिशा में बदलाव को लेकर पर्यावरण अनुकूल जैव ईंधन के उपयोग में तेजी लाने में मददगार होगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश भारत जी-20 अध्यक्षता के दौरान जैव ईंधन गठबंधन को साकार करने का प्रयास कर रहा है। यह सभी के लिये स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने के मकसद से भारत और फ्रांस की पहल पर 2015 में शुरू हुए ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ को प्रतिबिंबित करता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘ऐसे गठबंधन (जैव ईंधन) का उद्देश्य विकासशील देशों के लिये हरित ऊर्जा बदलाव को आगे बढ़ाने को विकल्प तैयार करना है। जैव ईंधन एक चक्रीय अर्थव्यवस्था (संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग वाली अर्थव्यवस्था) के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। बाजार, व्यापार, प्रौद्योगिकी और नीति समेत अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जुड़े सभी पहलू ऐसे अवसर सृजित करने में महत्वपूर्ण हैं।’’

जैव ईंधन स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत है। अपनी कुल जरूरत के 85 प्रतिशत से अधिक कच्चा तेल का आयात करने वाला भारत धीरे-धीरे पराली समेत अन्य फसल अवशेष, घरों से निकलने वाले अपशिष्ट आदि का उपयोग कर स्वच्छ ईंधन उत्पादन की क्षमता का निर्माण कर रहा है।

मोदी ने कहा, ‘‘इस प्रकार के विकल्प ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं, घरेलू उद्योग के लिए अवसर पैदा कर सकते हैं और हरित ऊर्जा क्षेत्र में नौकरियां पैदा कर सकते हैं। ये चीजें एक ऐसे बदलाव को सुनिश्चित करती हैं, जिसमें सभी आगे बढ़ते हैं, कोई भी पीछे नहीं रहता।’’

भारत 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। एथनॉल का उत्पादन गन्ना और कृषि अपशिष्ट से किया जाता है। साथ ही पराली और अन्य कृषि अपशिष्ट से ईंधन प्राप्त करने के लिये कई कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।

गठबंधन का उद्देश्य परिवहन समेत विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण अनुकूल जैव ईंधन के उपयोग में तेजी लाना है। इस कदम का मकसद मुख्य रूप से बाजार के साथ वैश्विक जैव ईंधन कारोबार को सुगम बनाने, एक-दूसरे की गतिविधियों से सीखते हुए ठोस नीति का विकास और वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय जैव ईंधन कार्यक्रमों के लिये तकनीकी समर्थन के उपाय करना है।

इस प्रकार की पहल भारत के लिये वैकल्पिक ईंधन की दिशा में बदलाव के साथ 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया एक-दूसरे से जुड़ी है और परस्पर निर्भर है। ऐसे में दुनियाभर के देशों की काबिलियत और क्षमता जितनी अधिक होगी, वैश्विक स्तर पर उतनी ही मजबूती होगी।

उन्होंने वैश्विक गठबंधन की जरूरत बताते हुए कहा, ‘‘जब किसी श्रृंखला की कड़ी कमजोर होती हैं, तो कोई भी संकट पूरी व्यवस्था को और कमजोर कर देता है। लेकिन जब कड़ियां मजबूत होती हैं, तो वैश्विक श्रृंखला एक-दूसरे की ताकत और क्षमता का उपयोग करके किसी भी संकट से निपट सकती है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिये दुनिया को सुरक्षित और संरक्षित रखना सबकी जिम्मेदारी है। इसे सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के भीतर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये जो कदम उठाये गये हैं, उसमें काफी प्रगति हुई है। भारत ने कुछ ही वर्षों में अपनी सौर ऊर्जा क्षमता 20 गुना बढ़ा ली है। पवन ऊर्जा के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष चार देशों में से एक है। इलेक्ट्रिक वाहन की बात की जाए, तो उसमें क्रांति आई है। भारत नवोन्मेष और इसकी स्वीकार्यता दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘हम शायद जी-20 देशों में पहले हैं, जिसने अपने जलवायु लक्ष्यों को निर्धारित समय से नौ साल पहले हासिल कर लिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसके साथ ही, एक बार उपयोग किये जाने वाले प्लास्टिक के खिलाफ कार्रवाई को दुनियाभर में मान्यता मिली है। साफ-सफाई और स्वच्छता के मामले में भी काफी प्रगति हुई है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इन उपायों से हम आज वैश्विक प्रयासों में केवल एक सदस्य के तौर पर नहीं हैं, बल्कि कई मामलों में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा-रोधी अवसंरचना के लिये गठबंधन जैसी पहल दुनिया के देशों को एक साथ ला रही है। आईएसए को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है, 100 से अधिक देश इससे जुड़े हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने ‘मिशन लाइफ’ पहल शुरू की है। यह पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली पर केंद्रित है। जीने का जो तरीका है, उसपर निर्णय इस आधार पर लिया जा सकता है कि लंबे समय में इसका पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा।’’

आईएसए का लक्ष्य 2030 तक 1,000 अरब डॉलर का निवेश जुटाने का है। यह 2030 तक व्यापक स्तर पर सौर ऊर्जा तैनात करने के लिए जरूरी है।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) का अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की ऊर्जा व्यवस्था को शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में लाने के लिये वैश्विक स्तर पर पर्यावरण अनुकूल जैव ईंधन उत्पादन को 2030 तक तीन गुना करने की जरूरत है।

एक अनुमान के अनुसार, 2022 में तरल जैव ईंधन का परिवहन क्षेत्र में कुल ऊर्जा आपूर्ति में चार प्रतिशत से अधिक का योगदान रहा।










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