विवेकानंद रेड्डी हत्याकांड में बड़ा अपडेट, सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय का फैसला किया रद्द, जानिये पूरा केस

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई एस विवेकानंद रेड्डी की हत्या की जांच कर रही सीबीआई को इस मामले में जांच के घेरे में चल रहे वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सदस्य वाई एस अविनाश रेड्डी को पहले ही लिखित प्रश्नावली सौंपने का निर्देश दिया गया था।

विवेकानंद रेड्डी हत्याकांड
विवेकानंद रेड्डी हत्याकांड


नयी दिल्ली:उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई एस विवेकानंद रेड्डी की हत्या की जांच कर रही सीबीआई को इस मामले में जांच के घेरे में चल रहे वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सदस्य वाई एस अविनाश रेड्डी को पहले ही लिखित प्रश्नावली सौंपने का निर्देश दिया गया था।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को अनुचित बताते हुए सीबीआई को दिये गये उसके निर्देश को रद्द कर दिया।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय गुण-दोषों के आधार पर अविनाश रेड्डी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई पर आगे बढ़ सकता है।

अविनाश रेड्डी, वाई एस विवेकानंद रेड्डी के भतीजे हैं तथा वह एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी चचेरे भाई हैं।

उच्चतम न्यायालय ने अविनाश रेड्डी की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार की दलीलों को खारिज कर दिया कि उन्हें कम से कम 24 घंटे के लिए गिरफ्तारी से संरक्षण दिया जाए क्योंकि अग्रिम जमानत याचिका तेलंगाना उच्च न्यायालय के समक्ष 25 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

पीठ ने कहा, ‘‘कुछ मिनट पहले, आप याचिका को ही वापस लेना चाहते थे। हमारे लिए, एक सामान्य मामले में, हम अग्रिम जमानत याचिका को वापस लेने की अनुमति देते और आगे बढ़ जाते। लेकिन इस मामले में हमारा कहना था कि उच्च न्यायालय इस तरह के आदेश नहीं दे सकता। हम उच्च न्यायालय के आदेश से वाकई परेशान थे। अगर सीबीआई को आपको गिरफ्तार करना होता तो पहले कर लेती। सीबीआई ने बेहद संयम दिखाया है।’’

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अविनाश रेड्डी को 19 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच जांच के लिए सीबीआई कार्यालय में उपस्थित रहने का निर्देश दिया था और कहा था कि सवाल-जवाब लिखित प्रारूप में होंगे और प्रश्नावली आरोपी को सौंपी जाएगी।

उसने कहा, ‘‘इस तरह का आदेश जांच को बेकार कर देगा। उच्च न्यायालय किसी संदिग्ध से लिखित प्रारूप में पूछताछ का आदेश नहीं दे सकता।’’

पीठ ने कहा, ‘‘प्रश्नावली प्रथम प्रतिवादी (अविनाश रेड्डी) को देने का उच्च न्यायालय का आदेश पूरी तरह अनुचित है। इस तरह के आदेश जांच को प्रभावित करते हैं, खासतौर पर तब जबकि सीबीआई कई आरोपियों की भूमिका का पता लगा रही है। उच्च न्यायालय के निर्देश अनुचित हैं और इसलिए उसके आदेश को रद्द किया जाता है।’’

शीर्ष अदालत ने 21 अप्रैल को उच्च न्यायालय के आदेश को अस्वीकार्य करार दिया था और अविनाश रेड्डी को विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में 25 अप्रैल तक गिरफ्तार करने से संरक्षण देने पर रोक लगा दी थी।

 










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