भारत के बाद अब अमेरिका भी लगाने जा रहा है इस एप पर प्रतिबंध, यूजर्स को पहुंचा रहा है नुकसान
अमेरिका सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है, जहां 15 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी इसका उपयोग कर रहे हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
हैलीफैक्स: अमेरिका सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है, जहां 15 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी इसका उपयोग कर रहे हैं। अमेरिकी सरकार मुख्य रूप से निजता संबंधी चिंताओं को लेकर प्रतिबंध पर विचार कर रही है। लेकिन इससे सोशल मीडिया ऐप से जुड़े अन्य संभावित खतरों पर भी विचार करने का अवसर मिलता है।
यह सर्वविदित है कि सोशल मीडिया से जुड़े विभिन्न ऐप मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं और इस तथ्य को फेसबुक के लीक हुए आंतरिक अध्ययन में भी स्वीकार किया गया है। सोशल मीडिया के उपयोग का प्रभाव हमारी ज्ञान संबंधी क्षमताओं पर हो सकता है, हालांकि, इस संबंध में लोगों की जानकारी कम ही है।
एक शोधकर्ता के रूप में, मैंने उन सभी विभिन्न प्रक्रियाओं का अध्यनन किया जिनका उपयोग हमारा मस्तिष्क ध्यान केंद्रित करने और ध्यान बनाए रखने के लिए करता है। ध्यान कोई एकल तंत्र नहीं है, बल्कि यह मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों में कई अलग-अलग तंत्रों का नतीजा है।
इन तंत्रों में से एक कार्यकारी कार्यप्रणाली भी है जिसे काम पर ध्यान केंद्रित करने और ध्यान भंग होने पर नजर रखने की हमारी क्षमता के रूप में परिभाषित किया गया है। हालांकि, सभी कार्यों को समान नहीं बनाया गया है लेकिन जब हमारे ध्यान का मकसद संवाद और मनोरंजन हो तो ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाता है।
आपका मनोरंजन करने के लिए, सोशल मीडिया कंपनियां उन सभी सामग्री पर नजर रखती हैं जिनसे आप दो-चार होते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि उनकी नजर सिर्फ उस सामग्री तक ही होती है जिसे आप ‘लाइक’ करते हैं, बल्कि वे इस बात पर भी नजर रखती हैं कि आप प्रत्येक सामग्री पर कितना समय देते हैं। ऐसा कर, ऐप व्यवस्थित रूप से आपको संबंधित सामग्री प्रस्तुत करता है, ताकि आपको यथासंभव अधिक से अधिक समय तक उस मंच पर जोड़ कर रखा जा सके।
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सोशल मीडिया से जुड़े ऐप जिस प्रकार से सामग्री प्रस्तुत करते हैं, वह अहम है। कई ऐप अंतहीन ‘स्क्रॉल’ सुविधा का उपयोग करते हैं। इसमें उपयोगकर्ता सामग्री के अगले हिस्से को देखने के लिए बस ऊपर की ओर ‘स्वाइप’ करते रहते हैं। इससे उपयोगकर्ता अधिक समय तक सामग्री के संपर्क में रहते हैं। सोशल मीडिया ऐप पूरा प्रयास करते हैं कि उपयोगकर्ताओं के लिए उनके मंच को छोड़ना मुश्किल हो जाए।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि कंपनियां लगातार हम पर नजर रखती हैं और संबंधित आंकड़ों का लाभ उठाकर हमें अधिक से अधिक समय तक जोड़ कर रखने का प्रयास करती हैं।
ज्यादातर सोशल मीडिया उपयोगकर्ता दिन में कम से कम एक बार ‘‘लॉग-इन’’ करते हैं लेकिन एक तिहाई किशोर ऐसे ऐप का 'लगभग लगातार' उपयोग करते हैं। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या सोशल मीडिया ध्यान संबंधी हमारी क्षमताओं को नुकसान पहुंचा रहा है।
हाल में देखा गया है कि टिकटॉक पर एक साथ कई वीडियो प्रदर्शित करने के लिए ‘‘स्प्लिट-स्क्रीनिंग’’ के उपयोग की प्रवृत्ति बढ़ी है। यह एक नया घटनाक्रम है जिसमें दर्शक बोरियत पैदा होते ही दूसरी सामग्री देखने लगता है।
मीडिया की इस नयी शैली के संबंध में अधिक जानकारी के लिए और शोध की आवश्यकता है लेकिन इस प्रवृत्ति से उस सामग्री को प्राथमिकता मिलने का पता लगता है जहां जल्दी ध्यान चला जाता है।
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मल्टीटास्किंग यानि एक ही समय में एक से अधिक काम करना, के कुछ रूप हानिरहित हैं, जैसे एक ही समय में चलना और च्युइंग गम चबाना लेकिन संज्ञानात्मक तंत्र साझा करने वाली गतिविधियों पर प्रभावी रूप से मल्टीटास्क करना संभव नहीं है। इसके बजाय, हम 'टास्क-स्विचिंग' में संलग्न होते हैं, जिसमें दो संबंधित गतिविधियों के बीच बारी-बारी से जाना शामिल होता है।
बातचीत करने के साथ ही पढ़ने की कोशिश करने के बारे में सोचें: इनमें से किसी एक गतिविधि से अलग हुए बिना यह संभव नहीं है, क्योंकि इन दोनों में भाषा प्रसंस्करण शामिल है। सोशल मीडिया और अधिकांश प्रकार के कार्य इसी श्रेणी में आते हैं।
एक काम को करते हुए दूसरे काम में लगना की समस्याओं में से एक 'बदलाव की कीमत' है। इस शब्द का उपयोग उस नकारात्मक प्रभाव का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो किसी कार्य के साथ फिर से जुड़ने से आपके संज्ञान पर पड़ता है। इसका मतलब है कि हर बार जब आप स्कूल के लिए पढ़ाई करते हैं या अपनी नौकरी पर काम करते हैं, और आप सोशल मीडिया खोलते हैं, तो काम पर वापस आते हुए आप धीमे हो जाते हैं और गलतियां होने की आशंका बढ़ जाती है।