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धोखाधड़ी! सपने टूटे, भविष्य अधर में या अब भी है कोई गुंजाइश; UPSC क्रेक करने वाले महराजगंज के सिद्धार्थ का क्या होगा आगे?

महराजगंज जनपद निवासी सिद्धार्थ कुमार सिंह का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। यूपीएससी क्रेक करने के बाद भी सिद्धार्थ के भविष्य पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। आखिर क्या होगा आगे? पढ़ें पूरा अपडेट डाइनामाइट न्यूज पर
Post Published By: Poonam Rajput
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धोखाधड़ी! सपने टूटे, भविष्य अधर में या अब भी है कोई गुंजाइश; UPSC क्रेक करने वाले महराजगंज के सिद्धार्थ का क्या होगा आगे?

गोरखपुर: पड़ोसी जनपद महराजगंज के निचलौल तहसील के सोहट गांव के मूल निवासी सिद्धार्थ कुमार सिंह इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में बने हुए हैं। सिद्धार्थ कुमार सिंह पर गलत जानकारी देकर निचलौल के तहसीलदार से 2021 में ईडब्लूएस प्रमाणपत्र बनवाने और इस प्रमाणपत्र के आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण के तहत संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग सर्विस में चयनित होने का गंभीर आरोप है। एक शिकायत पर हुई मामले की जांच के बाद सिद्धार्थ पर लगे कुछ आरोपों को सही पाया गया है, जबकि कुछ आरोपों के जवाब मिलने अभी बाकीहैं। महराजगंज प्रशासन के अलावा अब यूपीएससी समेत केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग यानी DoPT के अंतिम फैसलों का सभी को इंतजार है।

ईडब्लूएस कोटे के तहत यूपीएससी की परीक्षा को क्रैक करने वाले सिद्धार्थ सिंह को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या उनका करियर अब अधर में लटक गया है? हालांकि गोरखपुर से सामने आई जांच रिपोर्ट के बाद सिद्धार्थ को भी अब अपने स्वप्निल सपने टूटते नजर आ रहे होंगे। ऐसे में सिद्धार्थ सिंह का खुद सवालों के कटघरे में खड़ा होना स्वाभाविक है। महराजगंज से लेकर गोरखपुर और दिल्ली तक ये चर्चाएं हो रही हैं कि आखिर सिद्धार्थ सिंह का आगे क्या होगा?

सिद्धार्थ सिंह पर अंतिम फैसला आना अभी बाकी है। हो सकता है कि उन्हें आगे भी बड़े स्तर पर जांच का सामना करना पड़े। उनका यह मामला कानूनी रूप भी ले सकता है। सिद्धार्थ सिंह को लेकर उठ रहे तमाम सवालों के बीच डाइनामाइट न्यूज़ आपको बता रहा है कि आखिर यह मामला क्या है क्या और कैसे यह सामने आया। इस पूरे प्रकरण को पूरे विवरण के साथ आप डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जान सकते हैं।

निचलौल में पुश्तैनी घर, गोरखपुर में निवास

दरअसल, इस पूरे मामले की पृष्ठभूमि में महराजगंज जनपद की निचलौल तहसील है। निचलौल तहसील के कोठीभार थाना क्षेत्र के ग्राम सोहट के निवासी सिद्धार्थ कुमार सिंह पुत्र चन्द्रेश कुमार सिंह का निचलौल में ही पुश्तैनी मकान है। इस मकान में अब सिद्धार्थ के चाचा-चाची का परिवार का रहता है। सिद्धार्थ के माता-पिता और उनका पूरा परिवार गोरखपुर में रहता है।

सिद्धार्थ का परिवार

सिद्धार्थ के पिता चन्द्रेश कुमार सिंह उत्तराखंड सरकार में सरकारी सेवा में रहे हैं। सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट के बाद चन्द्रेश कुमार अब गोरखपुर में रहते हैं और पेंशन प्राप्त करते हैं। सिद्धार्थ की मां एक गृहणी हैं। एक बड़े भाई विकास कुमार सिंह ग्राम विकास अधिकारी और बड़ी विवाहित बहन डॉक्टर हैं। सिद्धार्थ की एक अविवाहित बहन नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं।

EWS कोटे पर उठे सवाल

सिद्धार्थ एक होनहार छात्र रहा है और अन्य युवाओं की तरह बड़ा होते-होते उसने भी बड़े सपने देखे। कड़ी मेहनत के साथ उसने यूपीएससी की प्रतिष्ठित आईईएस परीक्षा (Indian Engineering Services) पास की। लेकिन इसके परिणाम सामने आते ही उनके चयन और परीक्षा में शामिल होने के तरीके पर सवाल उठने लगे। सिद्धार्थ और उसके परिवार को निचलौल समेत महराजगंज के कई लोग भलीभांति जानते हैं। लोगों को जब इस बात की जानकारी हुई कि यूपीएससी की आईईएस परीक्षा में सिद्धार्थ का चयन EWS कोटे से हुआ है तो सवाल खड़े होने लगे। क्योंकि इन जानकार लोगों का मानना था कि सिद्धार्थ एक संपन्न परिवार से आते हैं और उन्होंने यूपीएससी में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिएजाने वाले 10% आरक्षण की व्यवस्था का गलत लाभ उठाया। सिद्धार्थ पर वास्तविक रूप से आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों के हक छीनने का आरोप लगा।

कोटे का गलत फायदा उठाने की शिकायत

ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र के आधार पर सिद्धार्थ कुमार सिंह के चयन को लेकर एक महराजगंज के अधिवक्ता वेद प्रकाश ने यूपीएससी चेयरमैन को एक पत्र लिखा। सिद्धार्थ पर संपन्न परिवार की पृष्ठभूमि से आकर को EWS कोटे का गलत फायदा उठाने का आरोप लगाया गया। इसके साथ ही शिकायत में कहा गया कि अभिषेक के परिवार के पास महराजगंज के अलावा गोरखपुर में मकान और भूखंड हैं, जिनकी कीमत EWS में निर्धारित संपत्ति के मूल्य से कई अधिक है। अधिवक्ता की इस शिकायत पर जांच शुरू हुई।

निचलौल तहसील से बना प्रमाणपत्र

सिद्धार्थ के खिलाफ मिली शिकायत और आरोपों का मामला दिल्ली से महराजगंज और गोरखपुर पहुंचा। सिद्धार्थ ने महराजगंज की निचलौल तहसील से EWS प्रमाण पत्र बनाया और यूपीएससी में जमा कराया। निचलौल तहसीलदार के समक्ष EWS प्रमाण पत्र के लिए सिद्धार्थ द्वारा कुमार सिंह अलग-अलग मौकों पर आवेदन किया गया। 23 सितंबर 2021, 8 अप्रैल 2022 और 21 अगस्त 2023 को निचलौल तहसीलदार को दिएगए आवेदनों के साथ पेश शपथ पत्र में सिद्धार्थ ने खुद को आर्थिक रूप से कमजोर बताया है और लिखा कि उनके परिवार की कुल वार्षिक आय 8 लाख रुपए से कम है। इसके साथ ही शपथ पत्र में यह भी बताया गया कि उनके परिवार के पास अधिसूचित नगर पालिका/नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत 100 वर्ग गज अथवा इससे अधिक का आवासीय भूखंड नहीं है। यूपीएससी परीक्षार्थी होने के नाते सिद्धार्थ का यह शपथ पत्र सार्वजनिक हो चुका है।

गोरखपुर प्रशासन की रिपोर्ट

परीक्षा के नोडल संचार विभाग ने गोरखपुर के जिलाधिकारी को सिद्धार्थ सिंह के मामले की जांच के निर्देश दिए थे। गोरखपुर के डीएम ने एडीएम सिटी अंजनी सिंह को जांच के निर्देश दिए। जांच में पाया गया कि सिद्धार्थ के माता-पिता के पास गोरखपुर के महादेव झारखंडी टुकड़ा नंबर तीन 829.75 वर्ग मीटर और करीब 900 वर्ग मीटर में भूखंड है।

EWS पर महराजगंज प्रशासन लेगा फैसला

गोरखपुर के जिलाधिकारी ने जांच रिपोर्ट परीक्षा के नोडल संचार विभाग व महराजगंज जिला प्रशासन को भेज दी है। सिद्धार्थ के ईडब्लूएस प्रमाण पत्र पर अंतिम फैसला महराजगंज प्रशासन को लेना है, क्योंकि उसने महराजगंज के निचलौल से ही ईडब्लूएस प्रमाण बनवाया है। ईडब्लूएस प्रमाण पत्र पाने के लिए सिद्धार्थ द्वारा तहसीलदार निचलौल के समक्ष गलत शपथ पत्र प्रस्तुत करने पर भी अब जल्द फैसला आने की उम्मीद है। महराजगंज प्रशासन के फैसले के बाद ही कथित तौर पर फर्जीवाड़े का यह पूरा मामला साफ हो सकेगा। सभी जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद सिद्धार्थ के भविष्य पर अंतिम फैसला यूपीएससी ही करेगा।

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