New Delhi: देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर प्रदूषण की गिरफ्त में है। शहर के अधिकांश इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच गया है, जो ‘गंभीर श्रेणी’ में आता है। यह स्तर सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद खतरनाक है। रविवार शाम, दमघोंटू हवा से परेशान लोगों ने इंडिया गेट की ओर मार्च करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से ठोस और दीर्घकालिक नीति की मांग की ताकि दिल्ली को प्रदूषण से राहत मिल सके।
इंडिया गेट पर प्रदर्शन से मचा हंगामा
प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन में आम नागरिकों के साथ-साथ आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के कई नेता भी शामिल हुए। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इंडिया गेट पर प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी। पुलिस अधिकारियों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इंडिया गेट पर कोई धरना या विरोध नहीं किया जा सकता। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को जंतर मंतर की ओर जाने के लिए कहा। लेकिन कई लोगों ने इसे “सरकार की चुप्पी पर असहमति जताने” का अधिकार बताते हुए इंडिया गेट पर ही डटे रहे। स्थिति नियंत्रण से बाहर होने पर पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
‘सांस लेना मुश्किल, लेकिन सरकार खामोश’
दिल्ली के निवासी अमित गुप्ता (नाम बदला हुआ) ने कहा कि हमारा शहर गैस चेंबर बन गया है। बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, बुजुर्ग घरों में कैद हैं और सरकार केवल बयानबाज़ी कर रही है। नागरिकों का आरोप है कि सरकार प्रदूषण के असली आंकड़े छिपा रही है। वे कहते हैं कि “क्लाउड सीडिंग”, यानी कृत्रिम बारिश जैसे प्रयोग महज दिखावा हैं, क्योंकि इनसे प्रदूषण का स्थायी समाधान नहीं होता।
प्रदूषण की चपेट में हर आदमी, जीवन संकट में; जानिये जानलेवा पॉल्यूशन से बचाव के आसान उपाय
‘केंद्र छिपा रहा है प्रदूषण का डेटा’
प्रदूषण विरोधी इस प्रदर्शन में AAP के दिल्ली प्रमुख सौरभ भारद्वाज भी शामिल हुए। उन्होंने केंद्र की बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब हवा सबसे खराब होती है, तो केंद्र सरकार एयर क्वालिटी डेटा छिपा देती है। AQI सेंटरों से डेटा लेना बंद कर दिया जाता है ताकि असली स्थिति जनता के सामने न आए। भारद्वाज ने कहा कि यह स्थिति “सरकार और जनता के बीच भरोसे की कमी” को दर्शाती है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार प्रदूषण के डेटा को पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक करे और राष्ट्रीय स्तर पर एयर एक्शन प्लान लागू करे।
दिल्ली का बिगड़ता हुआ AQI ग्राफ
• 1 नवंबर: 322
• 2 नवंबर: 330
• 3 नवंबर: 340
• 4 नवंबर: 350
• 5 नवंबर: 360
• 6 नवंबर: 361
• 7 नवंबर: 391
• 8 नवंबर: 361
कृत्रिम बारिश और पानी छिड़काव
सरकार ने पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण घटाने के लिए सड़क पर पानी छिड़काव, निर्माण कार्य पर रोक, और स्कूल बंद करने जैसे कदम उठाए हैं। इसके अलावा, “क्लाउड सीडिंग” यानी कृत्रिम बारिश की योजना भी शुरू की गई थी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ये सभी उपाय अल्पकालिक (Short-term) हैं।
पर्यावरणविद् सुनीता नारायण के अनुसार जब तक सरकार ठोस नीति नहीं बनाती जैसे सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा, औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण और पराली जलाने पर सख्त अमल तब तक प्रदूषण घटाना मुश्किल है।
सियासत में घुला प्रदूषण
दिल्ली का यह पर्यावरणीय संकट अब राजनीतिक मुद्दा बन गया है। AAP, बीजेपी और कांग्रेस तीनों एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। AAP का कहना है कि प्रदूषण का बड़ा हिस्सा पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से आता है, जिन पर केंद्र सरकार कार्रवाई नहीं करती।
वहीं, बीजेपी का आरोप है कि दिल्ली सरकार ने पिछले दस सालों में प्रदूषण नियंत्रण पर सिर्फ प्रचार किया, काम नहीं। कांग्रेस ने दोनों दलों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि दिल्ली की हवा अब “राजनीतिक धुएं” में बदल गई है।
अस्पतालों में बढ़े मरीज
दिल्ली के कई अस्पतालों ने बताया है कि बीते एक हफ्ते में सांस और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या लगभग 40% बढ़ी है। AIIMS के एक डॉक्टर ने बताया कि बच्चों और बुजुर्गों में खांसी, गले में जलन, सांस फूलने और अस्थमा के मामले तेजी से बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि यह अब सिर्फ पर्यावरण का नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य का संकट बन चुका है।

