New Delhi: भागदौड़ भरी ज़िंदगी, काम का तनाव और अनगिनत जिम्मेदारियों के बीच मानसिक शांति एक चुनौती बन गई है। इसी समय एक शब्द तेजी से लोकप्रिय हो रहा है “माइंडफुलनेस”। यह कोई नया चलन नहीं, बल्कि हजारों साल पुरानी बौद्ध परंपरा से निकली एक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तकनीक है, जो अब आधुनिक जीवनशैली में मानसिक और शारीरिक संतुलन का आधार बन रही है।
माइंडफुलनेस क्या है?
माइंडफुलनेस का अर्थ है वर्तमान क्षण में पूर्ण जागरूकता के साथ मौजूद रहना, बिना किसी पूर्वाग्रह या प्रतिक्रिया के। इसका मतलब है अपने विचारों, भावनाओं, शारीरिक संवेदनाओं और आसपास की चीज़ों को बस देखना और स्वीकार करना — न कि उन्हें तुरंत अच्छा या बुरा कहना।
माइंडफुलनेस क्यों जरूरी है?
आज की व्यस्त जीवनशैली में लोग या तो अतीत की चिंताओं में उलझे रहते हैं या भविष्य की अनिश्चितताओं में खो जाते हैं। माइंडफुलनेस हमें वर्तमान में जीना सिखाता है, जिससे तनाव, चिंता, अवसाद और नकारात्मक सोच में कमी आती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन नियमित करने से ब्रेन की संरचना में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इससे एकाग्रता बढ़ती है, निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है और भावनात्मक संतुलन बनता है।
जीवनशैली में माइंडफुलनेस को कैसे शामिल करें?
सुबह की शुरुआत ध्यान से करें: दिन की शुरुआत 5-10 मिनट के माइंडफुल ब्रेथिंग मेडिटेशन से करें।
खाने के दौरान ध्यान रखें: खाना खाते समय टीवी, फोन या बातचीत से दूर रहें। हर निवाले को महसूस करें।
वॉक करते समय ध्यान केंद्रित करें: टहलते समय अपने कदमों, सांसों और वातावरण को महसूस करें।
डिजिटल डिटॉक्स करें: दिन में कुछ समय मोबाइल और स्क्रीन से दूर रहें और खुद से जुड़ें।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज़: जब भी तनाव महसूस हो, कुछ मिनटों तक धीमी और गहरी सांसें लें।
ध्यान-डायरी लिखें: दिन खत्म होने पर अपने अनुभवों, भावनाओं और सोच को कागज़ पर उतारें।
माइंडफुलनेस के फायदे
- तनाव और चिंता में कमी
- नींद में सुधार
- निर्णय लेने में स्पष्टता
- बेहतर रिश्ते और संवाद
- आत्म-जागरूकता में वृद्धि
- भावनात्मक संतुलन

