New Delhi: हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की पहली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इसे अत्यंत पवित्र और फलदायी व्रत माना गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
पौराणिक महत्व
धार्मिक कथाओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी देवी का जन्म इसी दिन हुआ था। कहा जाता है कि असुर मुर के अत्याचार बढ़ने पर भगवान विष्णु ने अपनी शक्ति से एकादशी देवी को उत्पन्न किया। देवी ने उस राक्षस का वध किया और इस कारण इसे उत्पन्ना एकादशी कहा गया। इसे सभी एकादशियों में मूल और पहली एकादशी माना जाता है।
उत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि और शुभ योग
- तिथि: 15 नवंबर 2025 (शनिवार)
- एकादशी आरंभ: 15 नवंबर, रात 12:49 बजे
- एकादशी समाप्ति: 16 नवंबर, रात 2:37 बजे
- नक्षत्र और योग: उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र और विश्कुंभ योग
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 से 12:27 तक
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व्रत और पूजा विधि
- भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और ध्यान में दिन बिताते हैं।
- कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, जबकि अन्य फलाहार या एकादशी प्रसाद से व्रत पूरा करते हैं।
- इस दिन अनाज और दालों का सेवन वर्जित होता है।
- भगवान विष्णु को पीले फूल, पीले वस्त्र और पीले फल अर्पित करना शुभ माना गया है।
- व्रत के दौरान भक्ति और साधना पर विशेष ध्यान दें।
व्रत का फल
सच्चे मन से व्रत रखने और भक्ति करने से व्यक्ति को असीम पुण्य प्राप्त होता है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि मोक्ष की ओर मार्ग प्रशस्त करता है। उत्पन्ना एकादशी आध्यात्मिक शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का भी अवसर है।
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विशेष रूप से इस दिन व्रत करने से मन की शांति, जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन की साधना से व्यक्ति मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनता है।

