New Delhi: आज कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर देशभर में लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया और दीपदान के साथ पूजा-अर्चना की। यह दिन हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है और इस दिन को विशेष रूप से गंगा स्नान और दीपदान के लिए महत्व दिया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यता और महत्व
कार्तिक मास की पूर्णिमा का महत्व धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक है। इस दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा की जाती है और साथ ही इस दिन गंगा स्नान करने से 10 यज्ञों के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म भी हुआ था। इस दिन विशेष रूप से सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में पूजा-अर्चना करते हैं और भजन-कीर्तन में भाग लेते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा 2025 स्नान-दान का मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि मंगलवार रात 9:46 बजे से शुरू होकर बुधवार, 5 नवंबर को रात 7:28 बजे तक रहेगी। इस दिन सिद्धि योग और अश्विनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जिससे इस दिन की पूजा का महत्व और भी बढ़ गया है।
पूजा-विधि और धार्मिक आयोजन
इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और घी या तेल के दीए से दीपदान करते हैं। इसके अलावा घर में हवन और तुलसी के पास दीप जलाना भी शुभ माना जाता है। इस दिन दीप जलाने से विष्णु कृपा, धन, यश और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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गंगा स्नान और दीपदान का महत्व
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने को अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं। इसके बाद दीपदान करने से 10 यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है। विशेष रूप से इस दिन गंगा के किनारे दीप जलाने से व्यक्ति को शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
कार्तिक पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसे संपूर्ण पापों से मुक्ति का दिन माना जाता है। इस दिन का संबंध भगवान विष्णु के अवतारों से भी है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं।
अश्विनी नक्षत्र और सिद्धि योग का संयोग
2025 में कार्तिक पूर्णिमा पर अश्विनी नक्षत्र और सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो पूजा और व्रत के महत्व को और भी अधिक बढ़ा देता है। इस दिन विशेष रूप से लोग गंगा नदी में स्नान करने और दीपदान करने के बाद व्रत और दान करने की परंपरा का पालन करते हैं।

