New Delhi: पहले धनतेरस का मतलब था सोना, चांदी या बर्तन खरीदना। लेकिन अब ये परंपरा डिजिटल युग में एक नए रूप में बदल रही है। इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर त्योहारों की रौनक अब रील्स, हैशटैग्स और ब्रांडेड कंटेंट के जरिए झलकती है। धनतेरस पर हर साल लाखों लोग नई खरीदारी की पोस्ट शेयर करते हैं और इसी के साथ इन्फ्लुएंसर्स के लिए यह ‘गोल्डन’ मौका बन जाता है।
इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का फेस्टिव सीजन
धनतेरस से दिवाली तक, सोशल मीडिया पर ब्रांड्स की एक्टिविटी कई गुना बढ़ जाती है। ज्वेलरी, फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और गिफ्ट ब्रांड्स इन्फ्लुएंसर्स के साथ मिलकर स्पॉन्सर्ड पोस्ट्स, रील्स और अनबॉक्सिंग वीडियो जारी करते हैं।
फैशन इन्फ्लुएंसर्स पारंपरिक परिधानों में फोटोशूट कर ब्रांड्स को प्रमोट करते हैं वहीं फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट क्रिएटर्स लोगों को डिजिटल गोल्ड या ई-गोल्ड में निवेश करने की सलाह देते दिखते हैं।
“अब ब्रांड्स नहीं, लोग बनाते हैं ट्रेंड”
सोशल मीडिया पर अब त्योहारों के ट्रेंड जनता और क्रिएटर्स तय करते हैं। पहले जहां टीवी विज्ञापनों में सेलिब्रिटी दिखाई देते थे, अब वही असर एक पॉपुलर इंस्टाग्राम क्रिएटर डाल सकता है।
ब्रांड्स अब ‘इमोशनल कनेक्ट’ बनाने के लिए रील्स और छोटे वीडियोज़ का सहारा ले रहे हैं जैसे “इस धनतेरस अपनी मेहनत को इनाम दो” या “खरीदारी में खुशी नहीं, यादों में सोना ढूंढो” जैसे भावनात्मक कैंपेन।
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रील्स और गिवअवे बना नया त्योहार ट्रेंड
इन्फ्लुएंसर्स के बीच ‘धनतेरस गिवअवे’ का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। ब्रांड्स उनके ज़रिए कूपन, डिस्काउंट कोड और गिफ्ट हैम्पर्स बांटते हैं। इससे न सिर्फ उनकी रीच बढ़ती है, बल्कि ऑडियंस को भी सीधे तौर पर फायदा मिलता है।
युवाओं के लिए अब धनतेरस खरीदारी के साथ-साथ कंटेंट बनाने का भी दिन बन गया है फोटो शूट, वीडियो और रील्स के साथ हर कोई अपनी ‘फेस्टिव फीड’ को चमकाना चाहता है।
डिजिटल युग में परंपरा का नया रूप
धनतेरस की परंपरा आज भी कायम है, बस माध्यम बदल गया है। जहां पहले लोग सुनार की दुकान जाते थे, अब वही खरीदारी ऑनलाइन हो रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि अब खरीदने से पहले लोग इंस्टाग्राम पर ‘इन्फ्लुएंसर की राय’ जरूर देखते हैं।
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त्योहार की खुशबू अब बाजारों से निकलकर सोशल मीडिया की स्क्रीन तक पहुंच चुकी है जहां सोने की चमक को कंटेंट की चमक टक्कर दे रही है।