New Delhi: भारत और चीन के बीच तनाव के लंबे दौर के बाद द्विपक्षीय रिश्तों में एक महत्वपूर्ण बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं। करीब चार साल के अंतराल के बाद भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली की संभावना जताई जा रही है। इस कदम को दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने की पहल के रूप में देखा जा रहा है।
उड़ानों की बहाली पर भारत की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार ने देश की एयरलाइनों को चीन के लिए उड़ानों की योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। संभावना है कि इस संबंध में आधिकारिक घोषणा अगस्त के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के बाद की जाएगी। यह सम्मेलन 31 अगस्त से तियानजिन, चीन में आयोजित होना है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी हो सकती है।
कोविड-19 के बाद रुकी थीं उड़ानें
कोविड-19 महामारी के चलते 2020 में दोनों देशों के बीच सीधी यात्री उड़ानों पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद भारत से चीन जाने वाले यात्रियों को हांगकांग, सिंगापुर या अन्य ट्रांजिट देशों के रास्ते जाना पड़ता था। अब जब हालात सामान्य हो रहे हैं, दोनों देश फिर से सीधा संपर्क बहाल करने की कोशिश में हैं।
वर्तमान में क्या स्थिति है?
बातचीत अभी भी जारी है, इसलिए उड़ानों के फिर से शुरू होने की सटीक तारीख तय नहीं की गई है। संभावित अड़चनें अभी भी मौजूद हैं, लेकिन बीते दो हफ्तों में चर्चाएं तेज़ हुई हैं। विमानन कंपनियों जैसे एयर इंडिया और इंडिगो को इस दिशा में तैयारी के संकेत मिल चुके हैं। उड़ानों के फिर से शुरू होने पर भारतीय एयरलाइनों के साथ चीनी कंपनियाँ जैसे एयर चाइना, चाइना ईस्टर्न और चाइना सदर्न भी अपनी सेवाएँ फिर से बहाल कर सकती हैं।
तनावपूर्ण रहे हैं संबंध
वर्ष 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सैन्य झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच राजनयिक और व्यापारिक संबंधों में ठंडापन आ गया था। भारत ने कई चीन-आधारित ऐप्स पर प्रतिबंध, वीज़ा नीतियों में सख्ती और द्विपक्षीय वार्ताओं में दूरी बनाए रखी। हाल ही में भारत ने चीनी पर्यटकों के लिए वीज़ा फिर से शुरू किया है, जो द्विपक्षीय संबंधों में कुछ नरमी का संकेत देता है।
अमेरिका-भारत तनाव का भी प्रभाव
भारत और अमेरिका के बीच हाल में कुछ व्यापारिक मुद्दों को लेकर तनाव बढ़ा है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारतीय उत्पादों पर टैरिफ दोगुना करने का निर्णय शामिल है। इस स्थिति में भारत के लिए वैकल्पिक कूटनीतिक साझेदारी बनाना रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम हो सकता है।