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China Aircraft Carrier: चीन ने बढ़ाई नौसैनिक शक्ति, क्या भारत-अमेरिका के लिए बढ़ी चिंता?

चीन ने अपने तीसरे और सबसे उन्नत विमानवाहक पोत, फ़ुज़ियान को अपने नौसैनिक बेड़े में शामिल कर लिया है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट सिस्टम से लैस यह युद्धपोत समुद्री शक्ति को काफ़ी बढ़ा देगा। विशेषज्ञों के अनुसार भारत और अमेरिका के लिए चिंताएँ बढ़ा सकती है।
Post Published By: Sapna Srivastava
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China Aircraft Carrier: चीन ने बढ़ाई नौसैनिक शक्ति, क्या भारत-अमेरिका के लिए बढ़ी चिंता?

New Delhi: चीन ने अपनी नौसैनिक शक्ति में नया अध्याय जोड़ते हुए तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान (Fujian) को नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया है। बीजिंग में आयोजित एक गोपनीय समारोह में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग स्वयं मौजूद रहे। यह कैरियर चीन का अब तक का सबसे बड़ा और आधुनिक विमानवाहक पोत बताया जा रहा है।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम से लैस सबसे उन्नत युद्धपोत

फुजियान को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) से लैस किया गया है। इस तकनीक का उपयोग अब तक केवल अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर USS Gerald R. Ford में किया गया है। EMALS तकनीक पारंपरिक भाप प्रणाली से अधिक शक्तिशाली और कुशल मानी जाती है, जिससे फाइटर जेट्स और अन्य विमानों को तेजी से उड़ान भरने में मदद मिलती है।

चौथे एयरक्राफ्ट कैरियर पर भी काम जारी

चीनी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, चीन अपने चौथे एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण भी डालियान शिपयार्ड में कर रहा है। यह पोत संभवतः परमाणु ऊर्जा से संचालित होगा, जिससे उसकी वैश्विक पहुंच और संचालन क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। वर्तमान में चीन के पास दो विमानवाहक पोत हैं लियाओनिंग (2012) और शेडोंग (2019)।

चीन की नौसेना हुई और मजबूत

फुजियान की विशेषताएं और युद्ध क्षमता

करीब 80,000 टन विस्थापन वाले इस पोत पर जे-15T, जे-35 और कोंगजिंग-600 जैसे आधुनिक विमान तैनात किए जा सकेंगे। चीनी सेना के अनुसार, इन विमानों ने कैरियर आधारित उड़ान और लैंडिंग परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। यह पोत न केवल फाइटर जेट्स बल्कि निगरानी विमानों को भी उड़ा सकता है, जिससे इसकी आक्रमण और रक्षा क्षमता दोनों मजबूत होंगी।

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ताइवान और दक्षिण चीन सागर में तैनाती की संभावना

विश्लेषकों का मानना है कि फुजियान को ताइवान जलडमरूमध्य और दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है। चीन इन इलाकों पर अपना दावा जताता है और लंबे समय से वहां अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग को फुजियान की तकनीकी क्षमताओं और सामरिक महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।

भारत और अमेरिका के लिए रणनीतिक चुनौती

फुजियान की तैनाती से भारत और अमेरिका दोनों के लिए नई चुनौती खड़ी हो सकती है। हिंद महासागर और अरब सागर में चीन की नौसैनिक गतिविधियां पहले से बढ़ रही हैं। चीन के पास अब जिबूती, ग्वादर (पाकिस्तान) और हंबनटोटा (श्रीलंका) जैसे ठिकाने हैं, जिससे उसकी रणनीतिक पहुंच भारत के समुद्री क्षेत्र तक बढ़ रही है।

चीन के पास अब 234 युद्धपोतों का सबसे बड़ा सक्रिय नौसैनिक बेड़ा है, जबकि अमेरिका के पास 219 जहाज हैं। भारत के पास वर्तमान में आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य जैसे दो प्रमुख एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, जिनसे वह हिंद महासागर में संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।

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नया फाइटर जेट भी तैयार कर रहा चीन

चीन एक नया लड़ाकू विमान भी विकसित कर रहा है, जो फुजियान जैसे आधुनिक पोतों से संचालित हो सकेगा। चीनी विशेषज्ञ झांग जुनशे के अनुसार, फुजियान की शामिली चीन की नौसेना को तटीय रक्षा से लेकर दूरस्थ समुद्री अभियानों तक सक्षम बनाएगी।

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