Site icon Hindi Dynamite News

UPI Transaction Tax: डिजिटल पेमेंट बना टैक्स का जाल? कर्नाटक के व्यापारियों को नोटिस, विरोध तेज

कर्नाटक में आयकर विभाग ने UPI के जरिए लेनदेन करने वाले व्यापारियों को जीएसटी नोटिस भेजना शुरू किया है। अब तक लगभग 6000 नोटिस जारी हो चुके हैं। इससे व्यापारिक वर्ग में नाराजगी है और कई संगठन विरोध प्रदर्शन व हड़ताल की तैयारी में हैं।
Post Published By: ईशा त्यागी
Published:
UPI Transaction Tax: डिजिटल पेमेंट बना टैक्स का जाल? कर्नाटक के व्यापारियों को नोटिस, विरोध तेज

Bengaluru: कर्नाटक में UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) से होने वाले लेनदेन के आधार पर आयकर विभाग और जीएसटी अधिकारियों ने व्यापारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। विभाग की ओर से अब तक लगभग 6000 व्यापारियों को जीएसटी नोटिस भेजे जा चुके हैं, जिससे छोटे दुकानदारों और असंगठित व्यापारियों में हड़कंप मच गया है।

इन नोटिसों के पीछे UPI के माध्यम से हुए ट्रांजेक्शन डेटा को आधार बनाया गया है। इस नई कार्रवाई से न केवल व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ी हैं, बल्कि अब उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया है। व्यापार संगठनों ने 25 जुलाई को राज्यव्यापी हड़ताल और यूपीआई लेनदेन के बहिष्कार की चेतावनी दी है।

छोटे व्यापारियों पर भी गिरी गाज

बेंगलुरु के एक सब्जी विक्रेता को 1.63 करोड़ रुपये के पिछले चार वर्षों के लेनदेन के आधार पर 29 लाख रुपये का जीएसटी नोटिस थमा दिया गया। वह किसान मंडियों से ताज़ी सब्जियाँ लाकर बेचते हैं और ज्यादातर भुगतान UPI से होता है। उनका कहना है कि वे किसी बड़े व्यापारी की तरह कारोबार नहीं करते, फिर भी इतना बड़ा टैक्स नोटिस भेजा गया।

कर्नाटक में छोटे व्यापारियों को बड़ा झटका (सोर्स-गूगल)

टैक्स विभाग ने दी सफाई

कॉमर्शियल टैक्स विभाग की ज्वाइंट कमिश्नर मीरा सुरेश पंडित ने स्पष्ट किया है कि ये नोटिस कोई अंतिम टैक्स मांग नहीं है। जिन व्यापारियों को नोटिस मिला है, वे अपने लेन-देन से संबंधित दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि लेन-देन जीएसटी के दायरे में नहीं आता या दस्तावेज़ संतोषजनक हैं, तो नोटिस रद्द किया जा सकता है।

व्यापारियों का विरोध और हड़ताल की घोषणा

कर्नाटक के कई व्यापारिक संगठनों ने इस कार्रवाई को अनावश्यक और उत्पीड़क करार दिया है। उनका कहना है कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के बाद अब उसी के आधार पर टैक्स वसूली करना नीति विरोधाभास है। व्यापारी संगठनों ने 25 जुलाई को बंद बुलाया है और ग्राहकों से यूपीआई के बजाय नकद भुगतान की अपील की है।

सरकार की मंशा या मनमानी?

इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। एक ओर सरकार का दावा है कि कर प्रणाली को पारदर्शी और डिजिटल बनाने की दिशा में यह कदम जरूरी है, तो दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि बिना जानकारी और स्पष्टीकरण के ऐसे नोटिस भेजना ज्यादती है।

Exit mobile version