New Delhi: आज के युवा वर्ग में लग्जरी खरीदारी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। सोशल मीडिया और अपने दोस्तों या परिचितों से तुलना का दबाव उन्हें महंगे उत्पादों और अनुभवों का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करता है। इस प्रक्रिया में कई बार लोग EMI पर लक्जरी सामान खरीदने का विकल्प चुनते हैं ताकि तुरंत अनुभव का आनंद ले सकें।
लिव इन द नाउ मानसिकता और ईएमआई
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आज की पीढ़ी “लिव इन द नाउ” की मानसिकता के साथ अपने अनुभवों को तुरंत हासिल करना चाहती है। महंगे ब्रांडेड कपड़े, हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, लक्जरी कार या प्रीमियम रेस्टोरेंट का अनुभव अब केवल बचत या जरूरत की वस्तु नहीं माना जाता। यह एक तरह से स्टेटस सिंबल और सोशल मीडिया पर साझा करने योग्य अनुभव बन गया है।
लक्जरी का बदलता मतलब
पहले लक्जरी का मतलब सुरक्षित बचत और समझदारी से खर्च करना होता था। अब यह एक्सपीरियंस, स्टेटस और दूसरों के सामने अपनी पहचान बनाए रखने का तरीका बन गया है। उदाहरण के लिए, हाई क्लास डाइनिंग क्लब में डिनर या प्रीमियर इवेंट्स में शामिल होना लोग अपनी लग्जरी जीवनशैली दिखाने का माध्यम समझते हैं।
EMI के फायदे और खतरे
EMI सुविधा आकर्षक जरूर लगती है क्योंकि यह महंगी चीज़ें तुरंत उपलब्ध कराती है। हालांकि इसके साथ वित्तीय दबाव और खर्च की आदतों पर नकारात्मक असर भी हो सकता है। लगातार महंगे उत्पादों पर ईएमआई लेने से बचत की आदत कमजोर पड़ सकती है। यदि किश्तों का भुगतान समय पर नहीं होता, तो क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है।
इसके अलावा अधिक खर्च करने की आदत से मेंटल स्ट्रेस बढ़ सकता है। युवा वर्ग में आत्मसम्मान और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है क्योंकि वे लगातार दूसरों के स्तर से खुद की तुलना करते हैं।
सलाह और समाधान
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लक्जरी खरीदारी और ईएमआई में संतुलन जरूरी है। खर्च करने से पहले बजट तय करना और जरूरत और चाहत में फर्क समझना जरूरी है। छोटे-छोटे निवेश और बचत योजनाओं के साथ-साथ केवल अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही ईएमआई लेना बेहतर होता है।
युवाओं को यह समझना होगा कि लक्जरी केवल स्टेटस दिखाने का माध्यम नहीं है, बल्कि समझदारी से खर्च करने और वित्तीय स्वतंत्रता बनाए रखने का संतुलन भी जरूरी है।

