New Delhi: रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (RInfra) के लिए एक बड़ी कानूनी सफलता की खबर आई है। कंपनी ने बुधवार को जानकारी दी कि उसने अरावली प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 526 करोड़ रुपये का आर्बिट्रेशन अवॉर्ड हासिल किया है। यह मामला कॉन्ट्रैक्ट विवाद से जुड़ा था, जो 2018 से लंबित था।
क्या है मामला?
2018 में अरावली पावर ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर अनुबंध उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने का नोटिस जारी किया था। इसके बाद रिलायंस ने इस निर्णय के खिलाफ आर्बिट्रियल ट्रिब्यूनल का सहारा लिया। इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय आर्बिट्रियल ट्रिब्यूनल ने मामले की विस्तार से जांच की।
आर्बिट्रियल ट्रिब्यूनल का फैसला
सुनवाई के बाद, ट्रिब्यूनल ने बहुमत से निर्णय देते हुए अरावली पावर के कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने के कदम को गलत ठहराया। ट्रिब्यूनल ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को 419 करोड़ रुपये की मूल राशि का भुगतान, 5 करोड़ रुपये की लागत, 149 करोड़ रुपये ब्याज और भुगतान की वास्तविक तिथि तक मूल राशि पर भविष्य का ब्याज देने का आदेश दिया।
इस फैसले से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़ी राहत मिली है और कंपनी के वित्तीय हालात पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
कंपनी ने दी एक्सचेंज फाइलिंग में जानकारी
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इस फैसले की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज में फाइलिंग के माध्यम से दी है। कंपनी ने कहा है कि यह निर्णय उसके पक्ष में एक महत्वपूर्ण जीत है और इससे कंपनी की कानूनी स्थिति मजबूत होगी। साथ ही कंपनी ने बताया कि वह अपने व्यापारिक हितों की सुरक्षा के लिए कानूनी लड़ाई जारी रखेगी।
विवाद के कारण और पृष्ठभूमि
अरावली प्राइवेट लिमिटेड और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच यह विवाद 2018 में तब शुरू हुआ जब अरावली ने रिलायंस पर अनुबंध के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। अरावली ने कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करने का नोटिस दिया था, जो रिलायंस ने स्वीकार नहीं किया। इसके बाद मामला आर्बिट्रेशन तक पहुंचा।
बाजार पर प्रभाव
आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के इस फैसले के बाद रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। कंपनी के कानूनी विवादों में स्पष्टता आने से उसके शेयर बाजार में स्थिरता बनी रहने की संभावना है।

