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Independence Day 2025: इतिहास के पन्नों में दबी बुलंदशहर की यह कहानी, एक गांव, जिसने 19 सालों तक अंग्रजों की नींद की थी हराम

बुलंदशहर के वैरा फिरोजपुर गांव ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1921 में यहां के आंदोलनकारियों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ तिरंगा फहराया और अपनी आवाज उठाई। इसके बाद कई स्वतंत्रता सेनानियों ने 1930 और 1940 में आंदोलनों की अगुवाई की, जिनमें देवी सहाय भगत और अनूप सिंह त्यागी जैसे प्रमुख नेता शामिल थे।
Post Published By: Mayank Tawer
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Independence Day 2025: इतिहास के पन्नों में दबी बुलंदशहर की यह कहानी, एक गांव, जिसने 19 सालों तक अंग्रजों की नींद की थी हराम

Bulandshahr: बुलंदशहर के स्याना क्षेत्र स्थित वैरा फिरोजपुर गांव का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में हमेशा एक महत्वपूर्ण स्थान रखेगा। यह गांव न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि प्रदेश स्तर पर भी अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष का केंद्र बना था। 1921 में यहां के मोहल्ला बड़वालों में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें अंग्रेजों के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन की रणनीति बनाई गई। इस बैठक के दौरान गांव के आंदोलनकारियों ने तिरंगा फहराकर अंग्रेजी शासन का विरोध किया और स्वतंत्रता की राह पर पहला कदम रखा।

अनूप त्यागी ने छेड़ी जंग

आंदोलन के प्रारंभिक दिनों में अनूप सिंह त्यागी जैसे नेताओं ने अहम भूमिका निभाई। उनका नेतृत्व महत्वपूर्ण था, लेकिन उन्हें ब्रिटिश पुलिस ने जल्द ही गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, इसके बावजूद वैरा फिरोजपुर के लोगों में स्वतंत्रता की भावना और विरोध का जज्बा कम नहीं हुआ। गांव के युवाओं ने इस गिरफ्तारी के बाद भी अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और संघर्ष को जारी रखा।

1930 का आंदोलन

1930 में स्वतंत्रता सेनानी देवी सहाय भगत के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन हुआ। इस आंदोलन में पहलवान चोखे लाल, बिहारी सिंह और महाशय बसंत सिंह जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी गिरफ्तारी दी। उनका यह कदम अंग्रेजी शासन को चुनौती देने के लिए महत्वपूर्ण था और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन को और भी मजबूत किया।

1940 का संघर्ष

1940 में देवी सहाय भगत के नेतृत्व में आंदोलनकारियों ने कोतवाली के मुख्य द्वार पर तिरंगा फहराया, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक प्रतीकात्मक प्रतिरोध था। इस दौरान पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया, जिससे देवी सहाय और हरबक्श सिंह बाल्मीकि जैसे नेताओं को गंभीर चोटें आई। हालांकि, उनका संघर्ष नहीं थमा और यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गया।

वैरा फिरोजपुर का योगदान

वैरा फिरोजपुर ने न केवल देश को स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक दिए, बल्कि कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों को भी जन्म दिया। गांव ने यूएनओ के विशेष सलाहकार, मुख्य सचिव, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के निदेशक और विश्वविद्यालय के कुलपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने वाले शख्सियतों को भी देश को दिए। इस प्रकार वैरा फिरोजपुर ने अपनी ऐतिहासिक भूमिका के अलावा शिक्षा, प्रशासन और विज्ञान के क्षेत्र में भी देश की सेवा की है।

 

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