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All India Flight Crash: बोइंग हादसे ने बढ़ाई बीमा कंपनियों की टेंशन, आने वाली है कौन सी बड़ी चुनौती

बीमा और वित्तीय क्षेत्र से जुड़े जानकारों से खबर सामने आई है। जिससे इन कंपनियों को बड़ा झटका लग सकता है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Poonam Rajput
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All India Flight Crash: बोइंग हादसे ने बढ़ाई बीमा कंपनियों की टेंशन, आने वाली है कौन सी बड़ी चुनौती

नई दिल्ली : गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार दोपहर उस समय हड़कंप मच गया जब एयर इंडिया की एक फ्लाइट टेकऑफ करते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। एयर इंडिया की यह फ्लाइट बोइंग 787 ड्रीमलाइनर थी, जिसमें कुल 242 यात्री सवार थे। यह विमान रिहायशी इलाके में गिरा, जिससे जानमाल का भारी नुकसान होने की आशंका है। इस दुखद घटना के बाद विमानन जगत में शोक की लहर फैल गई है।

इस कंपनी पर पड़ा गहरा प्रभाव

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  बीमा और वित्तीय क्षेत्र से जुड़े जानकारों से खबर सामने आई है कि,  इस हादसे का असर केवल यात्रियों और उनके परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बीमा कंपनियों पर भी भारी वित्तीय दबाव आने वाला है। एलायंस इंश्योरेंस ब्रोकर्स में विमानन बीमा के प्रमुख सौरव बिस्वास के अनुसार इस विमान का बीमा मूल्य 75 से 85 मिलियन डॉलर के बीच था। अगर इसे कुल नुकसान माना जाता है, तो बीमाकर्ताओं को पूरी राशि का भुगतान करना होगा।

विदेशी कंपनियों करेंगी भुगतान 

बिस्वास के अनुसार, भारतीय बीमा कंपनियां ऐसे महंगे विमानों का पूरा जोखिम स्वयं नहीं उठातीं। इसीलिए अधिकतर बीमा रिस्क को विदेशी पुनर्बीमा कंपनियों (Reinsurance Companies) के माध्यम से साझा किया जाता है। ऐसे में भारतीय कंपनियों का घाटा अधिकतम 10% तक सीमित रह सकता है, जबकि बाकी का भुगतान विदेशी कंपनियों द्वारा किया जाएगा।

बताया जा रहा है कि इस विमानन बीमा का नेतृत्व टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कर रही थी। इसके अलावा इस पॉलिसी में न्यू इंडिया एश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस जैसी सरकारी बीमा कंपनियां भी सह-बीमाकर्ता थीं।

यात्रियों के लिए मुआवजे की प्रक्रिया शुरू

यात्रियों के लिए मुआवजे की प्रक्रिया मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के तहत की जाएगी, जिसकी गणना SDR (Special Drawing Rights) के आधार पर होगी। यदि प्रत्येक मृत यात्री के लिए औसतन 1 करोड़ रुपये मुआवजा माना जाए, तो केवल इस मद में ही बीमा कंपनियों पर 240 करोड़ रुपये का बोझ आ सकता है। हुल (Hull) और अन्य देनदारियों को मिलाकर यह नुकसान 1000 से 1200 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

बीमा तंत्र की मजबूती को लेकर कई सवाल

यह हादसा एक बार फिर विमानन क्षेत्र की सुरक्षा और बीमा तंत्र की मजबूती को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है।

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