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त्रिपुरा के शाही परिवार ने राज्य के विकास के लिए अपेक्षित काम नहीं किया

पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने त्रिपुरा पर राज करने वाले शाही परिवार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने 1,300 वर्षों के अपने शासन में राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए अपेक्षित काम नहीं किया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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त्रिपुरा के शाही परिवार ने राज्य के विकास के लिए अपेक्षित काम नहीं किया

अगरतला: पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने त्रिपुरा पर राज करने वाले शाही परिवार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने 1,300 वर्षों के अपने शासन में राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए अपेक्षित काम नहीं किया।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पोलित ब्यूरो के सदस्य ने कहा कि राजाओं ने अपने तथा रानियों के नामों पर केवल कुछ स्कूल बनवाए और कुछ तालाब खुदवाए।

सरकार ने सिपाहीजाला जिले के सोनामुरा में पार्टी के एक कार्यक्रम में आरोप लगाया, ‘‘राजाओं ने इस पूर्वोत्तर राज्य पर करीब 1,300 वर्ष शासन किया और वे उनके अधीन आने वाले चकला रोशनाबाद (अब बांग्लादेश) से मिलने वाले कर पर निर्भर थे। अगरतला में एक महल (उज्जयंत पैलेस) बनवाने के अलावा उन्होंने कुछ नहीं किया।’’

माकपा नेता ने कहा, ‘‘उन्होंने औपनिवेशिक शासकों (अंग्रेज) के साथ एक प्रकार से समझौता किया और चकला रोशनाबाद से राजस्व एकत्र कर शासन किया क्योंकि पहाड़ी राज्य त्रिपुरा में राजस्व का और कोई साधन नहीं था।’’

उन्होंने टिपरा मोथा के नेता प्रद्योत किशोर माणिक्य का नाम लिए बिना कहा कि अब एक व्यक्ति ने पूरी आबादी को छोड़कर केवल 13 लाख लोगों को मुक्त कराने का प्रण लिया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार,  2023 के विधानसभा चुनाव में प्रद्योत किशोर माणिक्य ने दावा किया था कि उन्हें सत्ता और धन नहीं चाहिए बल्कि वह 13 लाख जनजातीय लोगों की लड़ाई लड़ना चाहते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कैसे कोई व्यक्ति यह कह सकता है कि पिछले 75 वर्ष में त्रिपुरा के जनजातीय लोगों के लिए कुछ नहीं किया गया? त्रिपुरा आदिवासी स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसरी) का गठन किसने किया? वह वाम दल थे जिन्होंने शिक्षा से लेकर प्रोन्नती तक में मूल लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की। वाम मोर्चे के शासन के दौरान राज्य में सैंकड़ों स्कूल खोले गए। वन रहवासी अधिकार अधिनियम के तहत 1,29,000 लोगों को पट्टे दिए गए।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि टिपरा मोथा का राज्य की 22 गैर-अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला विधानसभा चुनाव में वामपंथी दलों को सत्ता में आने से रोकने के लिए लिया गया था।

उन्होंने दावा किया कि जब राज्य में कांग्रेस और वामपंथी दलों के बीच गठबंधन हो रहा था तब माणिक्य, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्व शर्मा के साथ बैठकें करने के लिए दिल्ली और गुवाहाटी का दौरा करते थे।

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