‘श्री महाकाल लोक’ गलियारे की मूर्तियां तेज आंधी से गिरीं,कोई भ्रष्टाचार नहीं: मध्यप्रदेश सरकार
भाजपा नीत मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन स्थित प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में ‘श्री महाकाल लोक’ गलियारे में स्थापित छह मूर्तियों के गिर कर टूटने के संबंध में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को मंगलवार को खारिज कर दिया और इस घटना के लिए तेज बारिश एवं आंधी के साथ आये बवंडर को जिम्मेदार ठहराया।
भोपाल: भाजपा नीत मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन स्थित प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में ‘श्री महाकाल लोक’ गलियारे में स्थापित छह मूर्तियों के गिर कर टूटने के संबंध में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को मंगलवार को खारिज कर दिया और इस घटना के लिए तेज बारिश एवं आंधी के साथ आये बवंडर को जिम्मेदार ठहराया।
सरकार ने यह भी दावा किया कि इन मूर्तियों को स्थापित करने का कार्यादेश सात मार्च 2019 को तत्कालीन कांग्रेस शासन के दौरान जारी किया गया था।
उल्लेखनीय है कि ‘श्री महाकाल लोक’ गलियारे की छह प्रतिमाएं रविवार दोपहर आयी तेज आंधी के चलते गिरकर टूट गई थीं। ये टूटी प्रतिमाएं वहां स्थापित किये गये सप्त ऋषियों में से छह की हैं जो करीब 11 फुट ऊंची थीं।
मध्य प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि ‘श्री महाकाल लोक’ गलियारे के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है और मूर्ति निर्माण में बेहद ही गुणवत्ताहीन सामग्रियों का उपयोग किया गया है।
मध्य प्रदेश के नगर विकास और आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन कर कांग्रेस द्वारा लगाये गये इन आरोपों को सिरे से नकार दिया।
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सिंह ने कहा कि 28 मई 2023 को दोपहर बाद लगभग साढ़े तीन बजे से चार बजे के बीच तेज बारिश एवं आंधी के साथ बवंडर की स्थिति महाकाल मंदिर क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्र में निर्मित हुई। उन्होंने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग भोपाल की रिपोर्ट के अनुसार उज्जैन जिले में 55 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से हवा चली।
उन्होंने कहा कि महाकाल मंदिर के पास ‘श्री महाकाल लोक’ में 100 से अधिक एफआरपी (फाइबर-रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक) की मूर्तियाँ स्थापित हैं और उनमें कई 10 फीट से अधिक ऊँचाई तथा वृहद आकार की हैं। उन्होंने कहा कि इन्हीं 100 से अधिक मूर्तियों में से सप्त ऋषियों की मूर्ति भी 10 फीट ऊँचे स्तंभ पर स्थापित थीं तथा इन 7 मूर्तियों की ऊँचाई लगभग 11 फीट की है।
सिंह ने बताया कि इन सप्त ऋषियों की मूर्तियाँ रूद्रसागर, त्रिवेणी मण्डपम एवं कमल कुण्ड के बीच में स्थित होने से संभवत: यहाँ तेज आंधी एवं बारिश का प्रभाव अधिक रहा।
उन्होंने कहा, ‘‘इस प्राकृतिक आपदा के चलते इन सप्त ऋषियों की मूर्तियों में से छह मूर्तियाँ आधारस्तंभ से अलग होकर नीचे गिर गईं। 10 फीट ऊँचाई से गिरने तथा लगभग तीन क्विंटल वजनी होने के कारण ये मूर्तियाँ क्षतिग्रस्त हो गईं।’’
उन्होंने कहा, ‘प्रश्नाधीन कार्य की निविदा चार सितम्बर 2018 जारी की गई थी। इसकी स्वीकृति कांग्रेस के शासनकाल में उज्जैन स्मार्ट सिटी की सात जनवरी 2019 को हुई 11वीं बोर्ड बैठक में दी गई थी। स्मार्ट सिटी कम्पनी उज्जैन द्वारा एलओए (लेटर ऑफ एग्रीमेंट) 25 फरवरी 2019 को तथा कार्यादेश सात मार्च 2019 को कांग्रेस के शासनकाल में ही जारी किया गया था।’’
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उन्होंने कहा कि तेज आंधी-तूफान, बारिश की प्राकृतिक आपदा के चलते हवा के दबाव में तीन क्विंटल वजनी ये मूर्तियाँ 10 फीट ऊपर से गिरने से क्षतिग्रस्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि इसका तुरंत संज्ञान लिया गया है और शीघ्र ही इन मूर्तियों को पुनर्स्थापित करने की कार्यवाही की जा रही है।
हालांकि प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने ‘श्री महाकाल लोक’ में हुए कथित महाघोटाले और महा भ्रष्टाचार को लेकर मंत्री सिंह द्वारा दी गई सरकारी सफाई को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अपने महापापों का ठीकरा कांग्रेस पर थोपना सरकार का शगल बन चुका है।
उन्होंने कहा कि बेहतर यही होता कि मंत्री होने के नाते वे धार्मिक आस्थाओं के देश के सबसे बड़े महाकाल लोक में हुए ऐतिहासिक भ्रष्टाचार को नैतिकता और जिम्मेदारी के साथ स्वीकारते और उसकी जांच होने तक अपना पद त्याग देते।