पवन खेड़ा का बड़ा बयान, पुंछ आतंकी हमले पर सरकार चुप क्यों

डीएन ब्यूरो

कांग्रेस ने पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पुंछ में हुए आतंकी हमले को लेकर बृहस्पतिवार को सवाल किया कि इस मामले पर सरकार अब तक चुप क्यों है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

कांग्रेस  मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा
कांग्रेस मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा


नयी दिल्ली:  कांग्रेस ने पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पुंछ में हुए आतंकी हमले को लेकर बृहस्पतिवार को सवाल किया कि इस मामले पर सरकार अब तक चुप क्यों है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पार्टी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राइफल्स द्वारा आयोजित इफ्तार के लिए अग्रिम इलाके के एक गांव में फलों और अन्य वस्तुओं को ले जा रहे ट्रक पर 20 अप्रैल को घात लगाकर हमला किया गया था, जिसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे और एक अन्य जवान गंभीर रूप से घायल हो गया था।

खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पुंछ आतंकी हमले को सात दिन बीत गए, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने एक शब्द नहीं बोला। ये ख़ामोशी बताती है कि सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं? लगाम मोदी सरकार में आतंकी हमलों पर नहीं, बल्कि आतंकी हमलों पर होने वाली चर्चा पर लगी है।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘ पुंछ आतंकी हमले पर मोदी सरकार चुप क्यों है ?’’

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पिछले आठ साल में पुलवामा, पंपोर, उरी, पठानकोठ, गुरदासपुर, अमरनाथ यात्रा, सुंजवान सेना शिविर जैसे हमलों में हमने सैकड़ों जान गंवाई हैं।’’

खेड़ा ने कहा, ‘‘क्या मोदी सरकार ने हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है, जिस कारण जम्मू-कश्मीर में 1249 आतंकी हमले हुए हैं और इनमें 350 नागरिक मारे गए और 569 जवान शहीद हुए?’’

उन्होंने कुछ खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि पुंछ आतंकी हमले में तालिबान के लिंक के संकेत मिलते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘पुंछ आतंकी हमलों में जो गोलियां इस्तेमाल हुई वो स्टील की बनी हुई थीं। ये गोलियां नाटो ने इस्तेमाल की थी। 2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद ये गोलियां लश्कर-जैश जैसे आतंकी संगठनों के पास पहुंची थीं। खबरों में कहा गया था कि तालिबान राजस्व बढ़ाने के लिए हथियारों को बेच रहा है और हम देख रहे हैं कि इन्हें अब हमारे सैन्य संगठनों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है।’’

खेड़ा ने सवाल किया कि इस स्थिति को देखते हुए क्या सरकार का अफगानिस्तान में तालिबान के साथ कूटनीतिक पहल और संपर्क शुरू करना उचित है?










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