वायनाड (केरल): केरल सरकार ने रविवार को एक ‘आदमखोर’ बाघ को पकड़ने या बेहोश करने में असमर्थ रहने पर उसे जान से मारने का आदेश जारी किया। बाघ के हमले में यहां कलपेट्टा के पास 36 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत के एक दिन बाद यह आदेश जारी किया गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक प्रधान मुख्य वन संरक्षक (डब्ल्यूएल) और मुख्य वन्यजीव वार्डन, डी जयप्रसाद ने एक आदेश जारी कर मुख्य वन संरक्षक (उत्तरी सर्कल), कन्नूर को अभियान चलाने से पहले ‘निस्संदेह’ रूप से यह स्थापित करने का निर्देश दिया कि जिस बाघ ने व्यक्ति की जान ली थी यह वही है।
आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मानदंडों के अनुसार बाघ को पिंजरे में बंद करने या उसे बेहोश करने के लिए अधिकतम प्रयास किए जाने चाहिए।
आदेश में कहा गया, ‘‘यदि जानवर को पकड़ा या बेहोश नहीं किया जा सकता हो और यह स्थापित किया गया है कि वह आदमखोर है, तो उस पशु को वन्यजीव संरक्षण कानून-1972 की धारा 11(1)(ए) के तहत मारा जा सकता है…।’’
वन्यजीव अधिनियम के प्रावधान के अनुसार, मुख्य वन्यजीव वार्डन अनुसूची एक में निर्दिष्ट किसी भी जंगली जानवर के शिकार की अनुमति दे सकता है, यदि वह मानव जीवन के लिए खतरनाक हो गया हो तो।
वकेरी निवासी प्रजीश का क्षत विक्षत शव शनिवार को यहां एक वन क्षेत्र के पास पाया गया, संदेह है कि जब वह अपने मवेशियों के लिए घास एकत्र करने गया था तब बाघ ने उस पर हमला किया था और उसे खींचता हुए ले गया था।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि यह एक ‘आदमखोर’ बाघ था और अधिकारियों से उसे गोली मारकर जान से मारने की मांग की।
इससे पहले दिन में बाथरी से विधायक, आईसी बालाकृष्णन और अन्य लोगों ने क्षेत्र में लोगों के जीवन की सुरक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
आदेश जारी होने के बाद नेताओं और निवासियों ने अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया जिसके बाद प्रजीश का अंतिम संस्कार किया गया।