न्यायाधीश ने ऑनलाइन उत्पीड़न पर चिंता व्यक्त की, ‘डीपफेक’ तकनीक से निजता को खतरा बताया

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने सोशल मीडिया के माध्यम से यौन उत्पीड़न की बढ़ती प्रवृत्ति पर शनिवार को चिंता व्यक्त की। उन्होंने साथ ही कहा कि ‘डीपफेक’ तकनीक का उद्भव अभूतपूर्व है, लेकिन यह निजता के हनन, सुरक्षा जोखिम और गलत सूचना के प्रसार को लेकर भी चिंता पैदा करती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली
उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली


नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने सोशल मीडिया के माध्यम से यौन उत्पीड़न की बढ़ती प्रवृत्ति पर शनिवार को चिंता व्यक्त की। उन्होंने साथ ही कहा कि ‘डीपफेक’ तकनीक का उद्भव अभूतपूर्व है, लेकिन यह निजता के हनन, सुरक्षा जोखिम और गलत सूचना के प्रसार को लेकर भी चिंता पैदा करती है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार  न्यायमूर्ति कोहली ने उत्पीड़न और भेदभाव विषय पर एक कार्यक्रम में कहा कि समकालीन डिजिटल परिदृश्य में सोशल मीडिया के तेजी से बढ़ने से न केवल लोगों के संवाद करने के तरीके में बदलाव आया है, बल्कि उत्पीड़न का तरीका भी बदल गया है।

उन्होंने कहा, 'समानांतर में, डीपफेक तकनीक का उद्भव, एक प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता, गहरी चिंता का कारण है। आसानी से अत्यधिक यथार्थवादी सामग्री बनाने की इसकी क्षमता मनोरंजन के क्षेत्र में अभूतपूर्व है, लेकिन यह निजता के उल्लंघन, सुरक्षा जोखिम और गलत सूचना के प्रसार के संबंध में भी चिंता पैदा करती है।”

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि ‘डीपफेक’ की प्रकृति सूचना की प्रामाणिकता और व्यक्तिगत पहचान की गरिमा के लिए एक गहरी चुनौती है।

उन्होंने कहा, 'डीपफेक से उत्पन्न सबसे बड़ा खतरा झूठी जानकारी फैलाने की इसकी क्षमता है जो विश्वसनीय स्रोतों से आती प्रतीत होती है।'

‘डीपफेक’ का आशय छेड़छाड़ की गई मीडिया सामग्री से है। इसमें किसी भी व्यक्ति को गलत ढंग से पेश करने या दिखाने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) की मदद से डिजिटल हेराफेरी की जाती है और उसे बदल दिया जाता है।










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