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ईरानी राष्ट्रपति ने निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के लिए लेन-देन से डॉलर को हटाने का आह्वान किया

ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने मंगलवार को कहा कि पश्चिमी आधिपत्यवादी शक्तियों ने आर्थिक दबाव और प्रतिबंधों का सहारा लेकर समृद्धि और निष्पक्ष व्यापार के सिद्धांतों को खतरे में डाल दिया है। इसके साथ ही उन्होंने निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के लिए लेन-देन से डॉलर को हटाने का आह्वान किया।
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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ईरानी राष्ट्रपति ने निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के लिए लेन-देन से डॉलर को हटाने का आह्वान किया

तेहरान: ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने मंगलवार को कहा कि पश्चिमी आधिपत्यवादी शक्तियों ने आर्थिक दबाव और प्रतिबंधों का सहारा लेकर समृद्धि और निष्पक्ष व्यापार के सिद्धांतों को खतरे में डाल दिया है। इसके साथ ही उन्होंने निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के लिए लेन-देन से डॉलर को हटाने का आह्वान किया।

रईसी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद (सीएचएस) की 23वीं बैठक को एक वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित करते हुए यह आह्वन किया।

ईरान एससीओ का नौवां स्थायी सदस्य बना है जिसका मुख्यालय बीजिंग में है। ईरान और हाल ही में रूस और चीन पर अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए रईसी ने कहा, ‘‘…पश्चिमी आधिपत्यवादी शक्तियों ने आर्थिक दबाव और प्रतिबंधों का सहारा लेकर दुनिया में सुरक्षा, आर्थिक समृद्धि और निष्पक्ष व्यापार के सिद्धांतों को खतरे में डाल दिया है।’’

रईसी ने कहा कि पिछले दशकों के अनुभव पर भरोसा करते हुए अब यह काफी स्पष्ट हो गया है कि सैन्यीकरण के साथ जो चीज पश्चिमी प्रभुत्व प्रणाली का आधार रही है, वह है डॉलर का प्रभुत्व। उन्होंने कहा कि इसलिए एक निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को आकार देने के किसी भी प्रयास के लिए अंतर-क्षेत्रीय संबंधों में प्रभुत्व के इस साधन को हटाने की आवश्यकता है।

उन्होंने शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि ईरान के समूह में शामिल होने से ऐतिहासिक लाभ होंगे।

भारत की अध्यक्षता में हुए इस वर्चुअल शिखर सम्मेलन में ईरान के अलावा रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान के नेताओं ने हिस्सा लिया। एससीओ का गठन एक आर्थिक और सुरक्षा समूह के रूप में वर्ष 2001 में हुआ था।

 

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