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Delhi Flood: सरकार की बदइंतजामाी हुई उजागर, दिल्ली बाढ़ का दंश झेल रहे कई हिंदू शरणार्थी, मदद का कर रहे इंतजार, पढ़ें ये इनसाइड स्टोरी

हिंदू शरणार्थी अनीता ईंटों के ढेर की ओर इशारा कर रही है, जो यमुना नदी में आई बाढ़ की भेंट चढ़ चुके उसके घर का हिस्सा है। पिछले महीने दिल्ली का एक बड़ा हिस्सा बाढ की चपेट में आ गया था। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Delhi Flood: सरकार की बदइंतजामाी हुई उजागर, दिल्ली बाढ़ का दंश झेल रहे कई हिंदू शरणार्थी, मदद का कर रहे इंतजार, पढ़ें ये इनसाइड स्टोरी

नयी दिल्ली: पाकिस्तान की 18-वर्षीया हिंदू शरणार्थी अनीता ईंटों के ढेर की ओर इशारा कर रही है, जो यमुना नदी में आई बाढ़ की भेंट चढ़ चुके उसके घर का हिस्सा है। पिछले महीने दिल्ली का एक बड़ा हिस्सा बाढ की चपेट में आ गया था।

वैसे तो बाढ़ का पानी अब निकल चुका है, लेकिन मजनू का टीला के समीप नदीतट के पास रह रहे पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थियों पर इसने (बाढ़ ने) जो वित्तीय और स्वास्थ्य संबंधी कहर बरपाया है, अभी तक वे लोग उसका दंश झेल रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक अपने घरों की मरम्मत करने में असमर्थ ये लोग क्षतिग्रस्त मकानों में रह रहे हैं, उनमें से कुछ मकानों की दीवारें ढही हुई हैं, जबकि कुछ के दरवाजे टूटे हुए हैं। बाढ़ के दौरान अपनी जान बचाने के लिए लोग यहां से भाग गये थे, लेकिन उनमें से कइयों को इस क्रम में चोट लग गयी थी और अब वे बिस्तर पर पड़े हुए हैं।

अनीता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘दीवारें ढह गयीं और दरवाजे टूट गये एवं हमें इसी हाल में रहना पड़ रहा है। हमारी वित्तीय स्थिति ऐसी है कि हम तत्काल उसकी मरम्मत भी नहीं करा सकते।’’

यमुना के ऊपरी तटबंध क्षेत्रों में भारी वर्षा के बाद दिल्ली में इस नदी का जलस्तर खतरे के निशान के पार चला गया था और उसने 45 साल पहले का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। उफनती नदी के चलते सड़कें, पार्क, मकान आदि पानी में डूब गये थे और जनजीवन पटरी से उतर गया था।

अनीता ने आरोप लगाया कि विनाशकारी बाढ़ का दंश झेलने के बावजूद कोई उन लोगों की मदद करने आगे नहीं आया। उसने कहा, ‘‘कुछ लोगों ने बमुश्किल एक-दो दिन खाना खिलाया। कुछ अन्य ने एक-दो दिन का राशन दिया।’’

पिछले 10 वर्षों से अनीता का परिवार इस क्षेत्र में रह रहा है और उन लोगों के पास मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं।

अनीता ने सवालिया लहजे में कहा, ‘‘ज्यादातर परिवार खाना पकाने के लिए अब भी मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल करते हैं। जब प्रशासन ने पहले हमारी परवाह नहीं की तो अब वे क्यों करेगा?’’

एक अन्य पाकिस्तानी शरणार्थी कन्हैया ने कहा कि उसके परिवार के छह सदस्य बाढ़ के दौरान सुरक्षित स्थानों पर जाने के क्रम में घायल हो गये। उसने कहा कि जब बाढ़ का पानी उसके घर में घुस गया तो उन लोगों को कहीं से कोई मदद नहीं मिली। उसका परिवार पिछले आठ सालों से मजनू का टीला क्षेत्र में रहता है।

कन्हैया ने कहा, ‘‘मेरे परिवार के छह लोग बाढ़ के दौरान घायल हो गये। मेरी पत्नी के पैर की हड्डी टूट गयी और मेरे छह साल के भतीजे का हाथ टूट गया। किसी ने कोई मदद नहीं की। हम अपनी स्थिति संभालने के लिए अपना ठेला एवं अन्य चीजें बेच रहे हैं।’’

कन्हैया की पत्नी पूजा बिस्तर पर पड़ी है। उसने कहा, ‘‘मैं अब भी चल-फिर नहीं सकती, मुझे ठीक होने में एक महीना और लगेगा। हमारे पूरे घर में पानी घुस गया था और हमारी ज्यादातर चीजें बाढ़ के पानी में बह गयीं। प्रशासन ने हमारी कोई सहायता नहीं की।’’

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