हाईकोर्ट के जज के लिए मांगी थी मौत की सजा, अब खुद देना पड़ेगा जवाब, जारी हुआ कारण बताओ नोटिस
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी कर पूछा है कि उच्च न्यायालय की एक न्यायाधीश पर निराधार और सनक भरे आरोप लगाने तथा उनकी तुलना शैतान से करने पर उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं की जानी चाहिए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी कर पूछा है कि उच्च न्यायालय की एक न्यायाधीश पर 'निराधार और सनक भरे' आरोप लगाने तथा उनकी तुलना शैतान से करने पर उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं की जानी चाहिए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता नरेश शर्मा के आरोप अस्वीकार्य हैं और इन कथनों का उद्देश्य प्रथम दृष्टया अदालत को बदनाम करना तथा इसकी गरिमा को कमतर करना है।
खंडपीठ ने छह सितंबर को जारी हुए 31 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘‘हमारी राय में, बयान न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से दिए गए हैं। यह अदालत अपने किसी न्यायाधीश के खिलाफ इतने बड़े पैमाने पर अपमान के मामले को नजरअंदाज नहीं कर सकती।’’
जुलाई में शर्मा ने याचिका पर न्यायाधीश द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए अपनी अपील में उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश के खिलाफ 'आपत्तिजनक और चौंकाने वाले' आरोप लगाए थे।
एकल न्यायाधीश ने आजादी के बाद से सरकार के कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग करने वाली शर्मा की याचिका खारिज कर दी थी।
खंडपीठ ने कहा कि वह (शर्मा) अपील में दिए गए कथनों पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दे सका।
इसने कहा, 'मौजूदा अपील में मृत्युदंड की मांग करते हुए विद्वान एकल न्यायाधीश पर आपराधिक कृत्यों के निराधार तथा सनक भरे आरोप शामिल हैं तथा न्यायाधीश की तुलना शैतान से की गई है, जो अस्वीकार्य है।'
अदालत ने आगे की सुनवाई के लिए 18 सितंबर की तारीख निर्धारित करते हुए कहा कि अपीलकर्ता को सुनवाई की अगली तारीख या इससे पहले ‘कारण बताओ’ नोटिस का जवाब देना होगा।