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वाराणसी में मोटे अनाज की पहल से आंगनवाड़ी के बच्चों में कुपोषण से निपटने में मिली मदद

वाराणसी में तीन ब्लॉकों के 1,364 आंगनबाड़ियों में 50,000 बच्चों को 'मोटे अनाज से बनी कैंडी बार' देने की एक पायलट पहल ने बाल कुपोषण को दूर करने में मदद की है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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वाराणसी में मोटे अनाज की पहल से आंगनवाड़ी के बच्चों में कुपोषण से निपटने में मिली मदद

वाराणसी: वाराणसी में तीन ब्लॉकों के 1,364 आंगनबाड़ियों में 50,000 बच्चों को 'मोटे अनाज से बनी कैंडी बार' देने की एक पायलट पहल ने बाल कुपोषण को दूर करने में मदद की है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार वाराणसी प्रशासन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र में वेदांता लिमिटेड की एक सीएसआर शाखा – अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (एएएफ) के साथ मिलकर 'मिलेट्स-बार' पहल को लागू कर रहा है। वर्ष 2023 में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के मद्देनजर इसकी शुरुआत की गई।

वाराणसी जिले के नौ ब्लॉकों में इस समय कुल 3,914 आंगनवाड़ी केंद्र हैं। 'मिलेट्स-बार' पहल को तीन ब्लॉकों – आराजीलाइन, काशी विद्यापीठ और सेवापुरी के 1,364 आंगनवाड़ी केंद्रों में शुरू किया गया था। इनमें 'नंद घर' कहे जाने वाले 264 आधुनिक आंगनबाड़ी केंद्र भी शामिल थे।

यह पहल एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना के माध्यम से शुरू किए गए सरकार के पोषण कार्यक्रम की पूरक है। इसके तहत आमतौर पर आंगनवाड़ी बच्चों और गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली माताओं को पका हुआ भोजन दिया जाता है।

वाराणसी जिले के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''हम जिले में बाल कुपोषण को दूर करने के लिए कई पहल कर रहे हैं। वेदांता के साथ मिलकर तीन ब्लॉकों में आंगनबाड़ियों में 'मिलेट्स-बार' का वितरण उनमें से एक है। इससे निश्चित रूप से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार और उपस्थिति बढ़ाने में मदद मिली है।''

उन्होंने कहा कि चूंकि 2023 अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष है, इसलिए प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में यह पहल शुरू की गई।

उन्होंने कहा कि वाराणसी जिले में, नवंबर 2023 में गंभीर तीव्र कुपोषण (एसएएम) वाले बच्चे 0.6 प्रतिशत और मध्यम तीव्र कुपोषण (एमएएम) वाले बच्चे दो प्रतिशत पर आ गए हैं।

नागपाल ने कहा कि 2019 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार एसएएम 7.3 प्रतिशत और एमएएम 14 प्रतिशत था।

उन्होंने बताया कि शेष पांच ब्लॉकों में भी स्थानीय प्रशासन ने पिछले महीने से अन्य निजी कंपनियों की सीएसआर परियोजनाओं के तहत ऐसी ही पहल शुरू की हैं।

एएएफ की प्रवक्ता और वेदांता लिमिटेड में गैर-कार्यकारी निदेशक प्रिया अग्रवाल हेब्बार ने कहा कि विशेष रूप से कुपोषित श्रेणियों सहित सभी बच्चों को अच्छा पोषण देने के लिए यह पहल शुरू की गई।

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