चीन के विदेश मंत्री छिन कांग को का हुआ प्रमोशन, बने ‘स्टेट काउंसलर’

डीएन ब्यूरो

चीन के विदेश मंत्री छिन कांग को ‘स्टेट काउंसलर’ के रूप में पदोन्नत किया गया है, जिससे वह भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि के पद पर नियुक्त होने वाले संभावित उम्मीदवार हो जाएंगे। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

चीन के विदेश मंत्री छिन कांग को (फाइल फोटो)
चीन के विदेश मंत्री छिन कांग को (फाइल फोटो)


बीजिंग: चीन के विदेश मंत्री छिन कांग को ‘स्टेट काउंसलर’ के रूप में पदोन्नत किया गया है, जिससे वह भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि के पद पर नियुक्त होने वाले संभावित उम्मीदवार हो जाएंगे।

चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) रविवार को अपना वार्षिक सत्र आयोजित कर रही है। एनपीसी ने छिन की विदेश मंत्री के रूप में नियुक्ति का समर्थन किया और उन्हें ‘स्टेट काउंसलर’ के पद पर पदोन्नत किया, जो चीनी सरकार के कार्यकारी अंग स्टेट काउंसिल या केंद्रीय कैबिनेट के भीतर एक उच्च पद होता है।

छिन (56) को दिसंबर में वांग यी के बाद विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था और यी को चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के राजनीतिक ब्यूरो के लिए चुना गया, जो पार्टी की प्रमुख नीतिगत संस्था है।

स्टेट काउंसलर के पद पर छिन की पदोन्नति उन्हें 2003 में गठित भारत-चीन सीमा तंत्र के विशेष प्रतिनिधि (एसआर) के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए संभावित उम्मीदवार के तौर पर खड़ा करेगी। यह तंत्र दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार और सीमा मुद्दों पर बातचीत के लिए उच्चस्तरीय प्रणाली है।

इतने वर्षों में यह तंत्र सीमा विवाद और संबंधों को सुधारने के कदमों के अलावा कई समस्याओं से घिरे दो पड़ोसियों के बीच संबंधों की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में उभरा है।

अमेरिका में चीन के पूर्व राजदूत और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के करीबी विश्वासपात्र रहे छिन कांग जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए इस महीने की शुरुआत में नयी दिल्ली आए थे। इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बातचीत की थी।

मई 2020 में दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद से चीन और भारत के बीच संबंध लगभग शिथिल हो गए हैं।

गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य कमांडरों की 17 दौर की वार्ता हो चुकी है।

भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते।










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